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कबीर दास शब्द – मेरा तेरा मनवा – Kabir Das tera Mera Manva Bhai

kabir das poem mera tera manva bhai

कबीर दास शब्द 

मेरा तेरा मनवा भाई, एक कैसे होइ रे।।
तूँ कहता कागज की लेखी मैं कहता आखन की देखी।
मैं कहता तूँ जागत रहियो, तूँ रहता पड़ सोई रे।।
मैं कहता सुलझावन वाली, तूँ जाता उलझाई रे।
मैं कहता निर्मोही रहिये तूँ जाता है मोही रे।
जुगन-२ समझावत हारा, कहा ना माने कोई रे।
तूँ तो रँगी फिरे विहंगी, सब धन डारा खोई रे।।
सद्गुरु धारा बह निर्मली, वा में काया धोइ रे।
कह कबीर सुनो भई साधो, तब ही वैसा होइ रे।।
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