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कबीर दास भजन जिसमे बोले से रमतां रे राम – Kabir Das Bhajan Jismein bole se ramta re Ram.

kabir das peom  & peotry

कबीर दास भजन
जिसमे बोले से रमतां रे राम

जिसमे बोले से रमतां रे राम,जुगलिया रे चाम की।
चम् ही की धृतरी रे ,चाम का आकाशा।
चाम ही के नो लख तारे,चाम का प्रकाशा।
चाम ही की गाव है रे,चाम का ज्वारा।
चाम नीचे छान चुंघे, चाम चिंघावन हारा।
चाम ही की लाव है रे चाम का लाववरा।
चाम ही ने चाम खींचे चाम खिंचावन हारा।
कह कबीर सुनो भई साधो,कोण चाम से न्यारा
जो कोए होइ चाम से न्यारा, वो हे गुरु हमारा।
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