Kabir ke Shabd
गुरूवचनों को रखना सम्भालके, गुरुवचनों में गहरा राज है।
जिसने जानी न महिमागुरु की, उसका डूबाकभी न जहाज है
दीप जले और तम न जाए, ऐसा कभी नहीं हो सकता।
ज्ञान सुने और विवेक न जागे ऐसा कभ नहीं हो सकता।।
उनकी ज्योति से रोशन जहाँ है, करिश्मा ये बड़ा ही महान है।।
बीज पड़े और अंकुर न फूटे, ऐसा कभी नहीं हो सकता।
कर्म करे और फल नहीं भोगे, ऐसा कभी नहीं हो सकता।
कर्म करने में तूँ हुशियार है, फल भोगने में तूँ लाचार है।।
मैं का दिया जबतक जलाया, तबतक पृभु नहीं मिल सकता।
अंतःकरण की शुद्धि न हो तो, ज्ञान कभी नहीं मिल सकता।
अंतःकरण को शुद्ध बनालो, उसी से जीवन महान है।।
गुरू पर पूरा समर्पित हो जो, धोखा कभी नहीं हो सकता।
लक्ष्मण रेखा सत्संग की हो तो, रावण कभी नहीं आ सकता।
अब पल पल में होता आभाष है, मेरा सद्गुरु मेरे पास है।।