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कबीर की विशेषता
। गजल । ४७
कुछ जलवा,
दिखाना हो तो ऐसा हो
धन्य
कबीर
बिना मां बाप के दुनियां में, 
आना हो तो ऐसा हो । टेक
उत्तर आसमान से एक,
नूर का गोला कमल दल पर।
वो आके बन गया बालक,
कहू
जो
सुनके
क्या ढ ग.
के
रामानन्द
बहाना हो तो ऐसा हो ।
गंगा,
को
छुड़ा कर ढोंग दुनियां,
सारे मैदान
बहस करने
भये सरमिन्दे
ज्ञान
किनारे शिष्य होने की।
स्वामी,
भुलाना हो तो ऐसा हो ।
को सत्य उपदेश देते थे।
पर ड का,
बजाना हो तो ऐसा हो ।
पण्डित,
को
मौलबी सब पास में आये।
आपी खुद,
हराना हो
निरवारो,
किया दोउ दीन चेला ।
तो ऐसा हो ।
अमर संसार में सद्गुरु,
कहना हो
हजारों बैलों भरके धान,
तो ऐसा हो ।
केशव भेंट की
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