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भविष्य की आँख: समय पर देखा जाएगा

समय पर देखा जायेगा

एक सरोवर में अनागत विधाता, यद-भविष्य और प्रत्युपतन्नमति नाम की तीन मछलिया रहती थीं। अनागत विधाता आपत्ति के बिना आये ही उसके लिए  योजना तैयार रखने वाली । यद्भविष्य – जैसा कुछ होगा भुगत लिया जायेगा।
प्रत्युपतन्नमति विपत्ति आने पर सोचविचार कर हल निकलने वाली थी।
एक दिन शाम के समय कुछ मछुआरे उस तालाब को देखकर बोले कि इस तालाब में बड़ी अच्छी एवं मोटी ताजी मछलियां हैं। कल यहां से मछलियां पकड़ेंगे। यह सुनकर अनागत विधाता मछली बोली – अब हमें यहां से दूसरे तालाब में चले जाना चाहिए।
सामाजिक कहानी,बच्चे की कहानी
यह सुनकर अन्य मछलियां बोलीं – पूर्वजों के तालाब को केवल इनकी बात करने से ही छोड़ देना ठीक नहीं है। परन्तु प्रातःकाल होने पर अनागत विधाता मछली तो इस तालाब को छोड़कर दूसरे तालाब में चली गई।
सुबह जब मछुओं ने जाल डाला तो यदभविष्य और प्रत्युपन्नमति मछली जाल में फंस गईं। प्रत्युपन्नमति को जब जाल से निकाला गया तो उसने अपनी सांस बंद कर ली। मछुआरों ने उसे मरा जानकर फेंक दिया और इस तरह से उसने अपनी जान बचा ली। यदभविष्य मछली को मछुआरे अपने घर ले गये और उसे अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा।
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