किससे मांगू
बादशाह की सवारी निकली थी । मार्ग के समीप वृक्ष के नीचे एक अलमस्त फकीर लेटे थे अपनी मस्ती में। बादशाह धार्मिक थे, श्रद्धालु थे, फकीर पर दृष्टि गयी, सवारी छोडकर उतर पड़े और पैदल अकेले फ़क़ीर के पास पहुँचे। प्रणाम करके बोले…आपको आवश्यकता हो तो माँग लीजिये।
फकीर ने कहा…तू अच्छा आया। ये मक्खियों मुझे तंग कर रही हैं। इन्हें भगा दे यहा सै।
बादशाह बोले… मखियाँ तो मेरे वश मे नहीं हैं किंतु आप चलें तो ऐसा स्थान दिया जा सकता है जहाँ मक्खियाँ…
बीच मे ही फ़कीर बोले-बस बस। तू जा अपना काम कर ! मैं किससे माँगूँ तुच्छ मखियों पर भी जिसका अधिकार नहीं, उससे ?