सच्चा मित्र कौन है ? – Who is a true friend – Kids Story
Who is a True Freind – एक व्यक्ति के धन, कुटुम्ब और धर्म तीन मित्र थे। उसका धन रूपी मित्र पर अत्याधिक प्रेम था। उसके बिना वह क्षण भर भी नहीं रह सकता था। वह उसके पीछे रात दिन चक्कर काटता रहता था। दूसरे मित्र का कुटुम्ब पर साधारण अनुराग था। दो चार दिन उसके बिना भी व्यतीत किये जा सकते थे।
अपने तीसरे मित्र धर्म पर उसकी बहुत ही कम प्रीति थी। जब उसकी इच्छा मौज मस्ती करने की होती तो उसके पहले वाले दोनों मित्र हाँ जी, हाँ जी करते परन्तु तीसरा मित्र उसे रोकने का प्रयतन करता और बताता-पर स्त्री गमन न करो, चोरी न करो। भोग विलास से ही सब काम पूरे नहीं हो जायेंगे। तीसरे मित्र के हस्तक्षेप के कारण वह उसे महीने में केवल एक बार ही बुलाता था।
एक दिन अपने पहले मित्र ( धन ) के लिए दूसरे मित्र ( कुट॒म्ब ) से झगड़ा हो गया। अन्त में फौजदारी की नौबत आ गयी। उस व्यक्ति को पुलिस पकड़ कर ले गई। तब उसने पहले मित्र ( धन ) से कहा-भाई! तू मेरे साथ चल। तेरे लिए ही तो मैंने उससे झगड़ा मोल लिया है। धन ने कहा–हट! मैं तेरे पीछे कब फिरा हूँ, अपितु तू ही मेरे पीछे दीवाना था। अब उसने अपने दूसरे मित्र ( कुटुम्ब ) को साथ चलने को कहा।
दूसरा मित्र बोला – कचहरी के द्वार तक ही मैं चल सकता हूँ, परन्तु इससे आगे नहीं। दूसरे मित्र की बात सुनकर वह क्रोध में भर गया। इसी समय उस व्यक्ति का तीसरा मित्र ( धर्म ) बिना बुलाए आकर तीसरे मित्र ( धर्म ) ने उस व्यक्ति से कहा – तुम डरते क्यों हो? मैं तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूँ ” धर्मस्तिष्ठति केवलम्!! ‘ उसके तीसरे साथी ने वकील और जज के सामने सच्ची बात कह दी और उसे छुड़ा लिया। इस तरह अन्त में उस व्यक्ति के पहले वाले दो मित्र उसे छोड़कर चले जाते हैं, परन्तु उसका तीसरा मित्र अन्त तक साथ देता रहा।