What system has been prescribed for the distribution of the money earned (earned) in Hinduism? |
महर्षि वेद व्यास ने श्री मद्भागवत पुराण’ में उपार्जित धन के निम्नलिखित व्यवस्थाएँ निर्धारित की हैं सर्वप्रथम मनुष्य अपनी आयं को राजांश अर्थात् आयकर चुकता करने के बाद जो धन शेष व है, उसका एक भाग यानि चौथाई हिस्सा यज्ञ, दान, पुण्य क व्यय करें। दूसरा भाग यश के लिए, तीसरा, भाग पुन: पूंजी कमा लिए तथा चौथा भाग अपने गृहस्थ जीवन के लिए। इस प्रकार व्यथ करने वाला व्यक्ति सदैव सुखी रहता है।
आखिर क्यों ?