Search

सच्चा गीता पाठ -True geeta lesson

सच्चा गीता पाठ 
श्रीचैतन्य महाप्रभु जगन्नाथपुरी से दक्षिण भारत्त की यात्रा करने निकले थे। उन्होंने एक स्थान पर देखा कि सरोवर के किनारे एक ब्राह्मण स्नान करके बैठा है और गीता का पाठ कर रहा है । वह पाठ करने में इतना तलीन है कि उसे सम्भवत: अपने शरीर का भी पता नहीं है। उसका कष्ट गद्गद हो रहा है, शरीर रोमाछित हो रहा है और नेत्रों पे आँसू की धारा बह रही है। 
Bhagavad Gita Top 10 Life Lessons | Life Changing Lessons from ...
True Geeta Lesson
महाप्रभु चुपचाप जाकर उस ब्राह्यण के पीछे खडे हो गए और जब तक पाठ समाप्त हुआ, शान्त खडे रहे । पाठ समाप्त करके जब ब्राह्मण ने पुस्तक बंद की, महाप्रभु ने सम्मुख आकर पूछा-ब्राह्मण देवता ! लगता है कि आप संस्कृत नहीं जानते,क्योंकि श्लोकों का उच्चारण शुद्ध नहीं हो रहा था । परंतु गीता का ऐसा कौन… सा अर्थ आप समझते हैं कि जिसके आनन्द में आप इतने विभोर हो रहे थे ? 
अपने सम्मुख एक तेजोमय भव्य महापुरुष को देखकर ब्रह्मण ने भूमि में लेटकर दण्डवत् प्रणाम किया 
वह दोनों हाथ जोडकर नम्रतापूर्वक बोला- भागवन! में संस्कृत क्या जानूँ और गीता जी के अर्थ का मुझे क्या पता मुझें पाठ करना आता नहीं। मैं तो जब इस पढ़ने बैठता हूँ तब मुझे लगता है

कि श्चात्रक्के मैंदान मे दोनों ओर बडी भारी सेना सजी खडी है दोनों सेनाओ के बीच में एक रथ खडा है चार- ५ रथ के भीतर अर्जुन दोनों हाथ जोड़े बैठा है और रक्त’ आगे घोडों की रास पकड़े भगवान् श्रीकृष्ण बैठे हैं। भगवान् मुख पीछे घुमाकर अर्जुन सै कुछ कह रहे हैं मुझे यह स्पष्ट दीखता है। भगवान् और अर्जुत्त कौ ओऱ देख-देखकर मुझें प्रेम से रुलाई आ रही है । 

भैया ! तुम्ही ने गीता का सच्चा अर्थ जाना है गीता का ठीक पाठ करना तुम्हें ही आता है यह कहकर महाप्रभु ने उस ब्राह्मण को अपने हाथों से क्या हदय से लगा लिया । 
Share this article :
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply