Search

Three inspiring stories of Lord Buddha-भगवान बुद्ध की तीन प्रेरक कहानियां

भगवान बुद्ध की तीन प्रेरक कहानियां
आप सभी पाठकों के लिए प्रस्तुत है भगवान बुद्ध के जीवन से जुडी तीन प्रेरक कथाएं –
यह भी पढ़े – बोध कथा – सुखी रहने के लिए दूसरों में नहीं देखनी चाहिए ये बातें
Buddh
जिसकी जैसी भावना
एक बार बुद्ध कहीं प्रवचन दे रहे थे। अपने प्रवचन ख़त्म करते हुए उन्होंने आखिर में कहा, जागो, समय हाथ से निकला जा रहा है। सभा विसर्जित होने के बाद उन्होंने अपने प्रिय शिष्य आनंद से कहा, चलो थोड़ी दूर घूम कर आते हैं। आनंद बुद्ध के साथ चल दिए।अभी वे विहार के मुख्य दरवाजे तक ही पहुंचे थे कि एक किनारे रुक कर खड़े हो गए।
प्रवचन सुनने आए लोग एक- एक कर बाहर निकल रहे थे। इसलिए भीड़ सी हो गई थी| अचानक उसमे से निकल कर एक स्त्री गौतम बुद्ध से मिलने आई।। उसने कहा तथागत मै नर्तकी हूं| आज नगर सेठ के घर मेरे नृत्य का कार्यक्रम पहले से तय था, लेकिन मै उसके बारे में भूल चुकी थी। आपने कहा, समय निकला जा रहा है तो मुझे तुरंत इस बात की याद आई। उसके बाद एक डकैत बुद्ध की ओर आया। उसने कहा, तथागत मै आपसे कोई बात छिपाऊंगा नहीं। मै भूल गया था कि आज मुझे एक जगह डाका डालने जाना था कि आज उपदेश सुनते ही मुझे अपनी योजना याद आ गई। बहुत बहुत धन्यवाद!
उसके जाने के बाद धीरे धीरे चलता हुआ एक बूढ़ा व्यक्ति बुद्ध के पास आया। वृद्ध ने कहा, जिन्दगी भर दुनियादारी की चीजों के पीछे भागता रहा। अब मौत का सामना करने का दिन नजदीक आता जा रहा है, तब मुझे लगता है कि सारी जिन्दगी यूं ही बेकार हो गई। आपकी बातों से आज मेरी आंखें खुल गईं। आज से मै अपने सारे दुनियारी मोह छोड़कर निर्वाण के लिए कोशिश करना चाहता हूं। जब सब लोग चले गए तो बुद्ध ने कहा, देखो आनंद! प्रवचन मैंने एक ही दिया, लेकिन उसका हार किसी ने अलग अलग मतलब निकाला। जिसकी जितनी झोली होती है, उतना ही दान वह समेत पाता है। निर्वाण प्राप्ति के लिए भी मन की झोली को उसके लायक होना होता है। इसके लिए मन का शुद्ध होना बहुत जरूरी है।
बुद्ध और बच्चे
गौतम बुद्ध किसी बाग में विश्राम कर रहे थे। तभी बच्चों का एक झुंड आया और पेड़ पर पत्थर मारकर आम गिराने लगा| एक पत्थर बुद्ध के सर पर लगा और खून बहने लगा।बुद्ध की आंखों में आंसू आ गए। बच्चों ने देखा तो भयभीत हो गए। उन्हें लगा कि अब बुद्ध उन्हें भला बुरा कहेंगे।
बच्चों ने उनके चरण पकड़ लिए और उनसे क्षमा याचना करने लगे। उनमे से एक बच्चे ने कहा, हमसे बड़ी भूल हो गई है। मेरी वजह से आपको पत्थर लगा और आपके आंसू आ गए। इस पर बुद्ध ने कहा, बच्चों, मैं इसलिए दुखी हूं कि तुमने आम के पेड़ पर पत्थर मारा तो पेड़ ने बदले में तुम्हे मीठे फल दिए, लेकिन मुझे मारने पर मैंं तुम्हे सिर्फ डर दे सका।
Share this article :
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply