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राम नाम की अलोकिक महिमा ( वेश्या का उद्धार ) – The supernatural glory of the name of Rama (Salvation of the Prostitute)

राम नाम की अलोकिक महिमा

( वेश्या का उद्धार )

किसी शहर् में एक वेश्या थी। उसका नाम था जीवन्ती। उसे कोई संतान न थी। इसलिये उसने एक सुग्गे (तोते) का बच्चा खरीद लिया और पुत्रवत्‌ उसे पालने लग गयी। वह सुग्गे को ‘राम राम राम राम” पढ़ाने लगी। अभ्यास से सुग्गा (तोता) “राम-राम’ बोलना सीख गया और सुन्दर स्वरों से वह प्रायः सर्वदा ‘राम-राम’ ही करता रहता।

एक दिन दैवयोग से दोनों के ही प्राण छूट गये। इनको लेने के लिये यमदूत पहुँचे। इधर विष्णुदूत भी आये। विष्णुदूतों ने भगवन्नाम का माहात्म्य बतलाकर यमदूतों से उन दोनों को छोड़ देने का आग्रह किया। यमदूतों ने उनके दीर्घ और विशाल पाप-समुदाय तथा यमराज की आज्ञा बतलाकर अपनी लाचारी व्यक्त की। अन्त में युद्ध की नौबत आ पहुँची। युद्ध में यमदूतो के सेनानायक चण्डको गहरी मार पड़ी। यमदूत उन्हें लेकर हाहाकार करते हुए भाग चले।
Ram Naam ki Aloki Mahima
सारी बात यमराज को विदित हुई। उन्होंने कहा -“दूतो! उन्होंने मरते समय यदि ‘राम’ इन दो अक्षरों को उच्चारण किया है तो उन्हें मुझसे कोई भय नहीं रह गया। संसार में ऐसा कोई पाप नहीं है, जिसका राम-नाम के स्मरण से नाश न हो जाय। राम-नाम का जप करने वाले कभी विषाद या क्लेश को नहीं प्राप्त होते। इसलिये अब ऐसे लोगों को भूलकर भी यहाँ लाने की चेष्टा न करना। मेरा उनको प्रणाम है तथा मैं उनके अधीन हूँ।’
इधर विष्णुदूत हर्ष में भरकर जयध्वनि के साथ उस सुग्गे तथा गणिका को विमान में बिठलाकर  विष्णु लोक को ले गए।
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