Home Others दुःख भोग -Suffering

दुःख भोग -Suffering

6 second read
0
0
62
दुःख भोग
प्राणी-मात्र को कर्म के अनुसार दुःख मिलना लिखा ही है तो फिर उनको दुःख भोगने देना चाहिए। तो शास्त्रों में क्यों लिखा है कि प्राणी-मात्र की सेवा, सहायता करनी चाहिए?
कल्पना करो कि, अपने कर्मानुसार हम भी कहीं दुःख में फँस गए, तब हम क्या चाहेंगे? तब हम यही चाहेंगे कि दूसरा व्यक्ति हमारी सहायता कर दे, हम भले ही दुःख में फँस गए। जब हम चाहेंगे कि दूसरा व्यक्ति हमारी सहायता करे, तो हमको भी दूसरे की सहायता करनी चाहिए। हम भी अपने कर्मानुसार दुःख में फँसेंगे, वो भी अपने कर्मानुसार दुःख में फँसा है। स जैसा व्यवहार हम दूसरों से अपने लिए चाहते हैं, वैसा ही हमें दूसरों के साथ करना चाहिए। यह धर्म की बात है, मनुष्यता की बात है। इसलिए हमें दूसरों की सहायता करनी चाहिए। स ईश्वर ने उसके कर्मानुसार उसको दुःख दिया। किसी को विकलांग बना दिया, किसी को रोगी बना दिया। कर्म के अनुसार दुःख देना, यह ईश्वर का काम है। ईश्वर ने अपना काम किया। जिस ईश्वर ने व्यक्ति को कर्मानुसार दुःख दिया, उसी ईश्वर ने हमको यह सुझाव दिया कि, भई इस रोगी की, इस मुसीबत के मारे की सहायता करना। ईश्वर के आदेश का पालन करना हमारा धर्म है। इसलिये कोई दुःख में फँस जाए, आपत्ति में फँस जाए, तो उसकी सेवा-सहायता जरूर करनी चाहिए। स ईश्वर के दंड विधान में बाधा उत्पन्ना करना तब होता, जब ईश्वर मना कर देता कि रोगी की सहायता मत करो। और फिर भी हम ऐसा करते। यह उसके काम में दखलंदाजी होती। पर जब ईश्वर स्वयं ही कह रहा है कि, ”तुम इसकी सहायता करो।” इसलिए उसके काम में हमने कोई गड़बड़ नहीं की, बल्कि उसके आदेश का पालन किया। अपराधी को दंड देना ईश्वर का काम है और दंड मिलने के बाद उसकी सहायता करना हमारा काम है। क्योंकि यह काम हमको ईश्वर ने बताया है। ऐसा करने में कोई आपत्ति नहीं है। स और एक बात जो खास समझने की है कि – जो भी दुःख हमें प्राप्त होते हैं, वे सब हमारे कर्मों का फल नहीं है। कुछ दुःख हमारे कर्मों का फल है, कुछ अन्याय से भी हमको भोगने पड़ते हैं। दूसरे व्यक्तियों या प्राणियों के द्वारा अन्याय हो सकता है। प्राकृतिक दुर्घटनाओं से भी हमको दुः़ख भोगने पड़ते हैं। अतः सहायता करना कोई अपराध नहीं है।
Read more at Aakhirkyon: प्राणी-मात्र को कर्म के अनुसार दुःख मिलना लिखा ही है तो फिर उनको दुःख भोगने देना चाहिए। तो शास्त्रों में क्यों लिखा है कि प्राणी-मात्र की सेवा, सहायता करनी चाहिए?
Load More Related Articles
Load More By amitgupta
  • Krna Fakiri Phir Kya Dil Giri – Lyrics In Hindi

    **** करना फकीरी फिर क्या दिलगिरी सदा मगन में रहना जी कोई दिन हाथी न कोई दिन घोडा कोई दिन प…
  • 101 of the Best Classic Hindi Films

    Bollywood This article features 101 classic Bollywood movies that I know we all love. Ther…
  • अमर सूक्तियां-Immortals Quotes

    अमर सूक्तियां संसार के अनेकों महापुरुषों ने अनेक महावचन कहे हैं. कुछ मैं प्रस्तुत कर रहा ह…
Load More In Others

Leave a Reply

Check Also

What is Account Master & How to Create Modify and Delete

What is Account Master & How to Create Modify and Delete Administration > Masters &…