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हौसलें कि कहानी – बिना हाथ पैरों के फतह कर ली 14 हजार फीट से अधिक ऊंची चोटी-Story of hustle – conquered more than 14 thousand feet without arms and legs

हौसलें कि कहानी – बिना हाथ पैरों के फतह कर ली 14 हजार फीट से अधिक ऊंची चोटी

Hindi Motivational Story of a Brave Climber
: कहते है कि अगर आपके हौसलें मजबूत हो इरादे फौलादी हो तो दुनिया कि कोई
ताकत आपको अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से नहीं रोक सकती है। जेमी एंड्रयू
ऐसे ही एक मजबूत हौसलें और फौलादी इरादो वाले व्यक्ति है।जेमी एंड्रयू की
रियल स्टोरी जानकर कोई भी व्यक्ति हैरत में पड़ सकता है।

hindi motivational story of a brave climber in hindi

44 वर्षीय जेमी एंड्रयू ने जिस शौक के चलते आज से 15 साल पहले अपने
हाथ-पैर गंवा दिए थे, उसी को पूरा करने के लिए 14,691.6 फीट (4,478 मीटर)
ऊंची मैटरहॉर्न माउंटेन (माउंट सेरविने) को फतह किया है। खास बात है कि
एंड्रयू जब पहले हाथ-पैर रहते हुए पर्वतारोहरण करते थे, तब भी उन्होंने
इतनी ऊंचाई कभी नहीं चढ़ी थी।

first male amputee to climb mount everest

एंड्रयू ने बिना हाथ और पैरों के स्विटजरलैंड के जेरमैट कस्बे के पास
मैटरहॉर्न माउंटेन की चढ़ाई पूरी की है। स्कॉटलैंड की राजधानी ईडनबर्ग
निवासी इस पर्वतारोही को उम्मीद है कि उनके इस साहसिक कारनामें से दूसरों
को प्रेरणा मिलेगी। खासतौर, से उन लोगों को, जो शारीरिक रूप से विकलांग
होने पर साहसिक कारनामे करने से डरते हैं।

यह अल्प्स पर्वत और यूरोप की सबसे ऊंची चोटी है। इस चोटी पर 1865 से पर्वतारोहरण की शुरुआत होने के बाद से अब तक करीब 500 से अधिक पर्वतारोहियों की मौत हो चुकी है। दो हाथ और दो पैर खोने के बाद अदम्य साहसी कारनामा करने वाले जेमी एंड्रयू पर आधारित स्टोरी चैनल-5 अगले माह से प्रसारित करेगा।

यह अल्प्स पर्वत और यूरोप की सबसे ऊंची चोटी है। इस चोटी पर 1865 से
पर्वतारोहरण की शुरुआत होने के बाद से अब तक करीब 500 से अधिक
पर्वतारोहियों की मौत हो चुकी है। दो हाथ और दो पैर खोने के बाद अदम्य
साहसी कारनामा करने वाले जेमी एंड्रयू पर आधारित स्टोरी चैनल-5 अगले माह से
प्रसारित करेगा।

जेमी एंड्रयू और उनके दोस्त जेमी फिशर 15 साल पहले मोंट ब्लांक में 4000 मीटर ऊंची लेस ड्रोइट्स माउंटेन में बर्फीले तूफान में फंस गए थे। बर्फीली हवाएं 90 मील प्रति घंटे की गति से बह रहीं थीं। इस दौरान वह 4 दिन वहां फंसे रहे और फिशर की मौत हो गई।

जेमी एंड्रयू और उनके दोस्त जेमी फिशर 15 साल पहले मोंट ब्लांक में 4000
मीटर ऊंची लेस ड्रोइट्स माउंटेन में बर्फीले तूफान में फंस गए थे। बर्फीली
हवाएं 90 मील प्रति घंटे की गति से बह रहीं थीं। इस दौरान वह 4 दिन वहां
फंसे रहे और फिशर की मौत हो गई।

हालांकि, बचाव दल एंड्रयू को वहां से निकाल लाया, लेकिन उनके हाथ-पैर ठंड से बुरी तरह से प्रभावित हुए। डॉक्टरों के पास उनके हाथ- काटने के अलावा कोई भी दूसरा विकल्प नहीं था। ऑपरेशन के बाद उन्होंने कृत्रिम हाथ-पैरों को अपनाया।

हालांकि, बचाव दल एंड्रयू को वहां से निकाल लाया, लेकिन उनके हाथ-पैर
ठंड से बुरी तरह से प्रभावित हुए। डॉक्टरों के पास उनके हाथ- काटने के
अलावा कोई भी दूसरा विकल्प नहीं था। ऑपरेशन के बाद उन्होंने कृत्रिम
हाथ-पैरों को अपनाया।

कुछ ही साल बाद एंड्रयू फिर पहाड़ों की ओर वापस आ गए। वह फिर से उस जगह जाना चाहते थे, जहां उनके दोस्त की मौत हुई थी। उन्होंने ईडनबर्ग की एक छोटी पहाड़ी पर चढऩे का अभ्यास करना शुरू किया। यूरोप की सबसे अधिक ऊंची चोटी पर चढऩे के कारनामा करने के दौरान मिशन में एंड्रयू के पार्टनर स्टीव जोंस रहे।

कुछ ही साल बाद एंड्रयू फिर पहाड़ों की ओर वापस आ गए। वह फिर से उस जगह
जाना चाहते थे, जहां उनके दोस्त की मौत हुई थी। उन्होंने ईडनबर्ग की एक
छोटी पहाड़ी पर चढऩे का अभ्यास करना शुरू किया। यूरोप की सबसे अधिक ऊंची
चोटी पर चढऩे के कारनामा करने के दौरान मिशन में एंड्रयू के पार्टनर स्टीव
जोंस रहे।

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