क्या धूल समझ में आता है ! समझ में आया होता तो क्या यह प्रश्न शेष रह जाता। फिर तो भजन ही होता। अभी तक तो तुम राम-नाम को कौंडियों से भी कम कीमती समझते हो
महाराजा ! यह केसे? कौडियों के साथ राम-नाम की तुलना कैसी?
अच्छा तो बतलाओ, तुम्हारी वार्षिक आय अधिक से अधिक क्या है ? अनुमान पैंतालीस-पचास हजार रुपये। अच्छा तो अब विचार करो। व्यापारी हो, हिसाब लगाओ । वार्षिक पैंतालीस-पचास हजार के मानी हुए मासिक लगभग चार हजार रुपये और दैनिक लगभग एक सौ चालीस रुपये । दिन-रात के चौबीस घंटै की तुम्हारी आमदनी एक सौ चालीस रुपये हैं, इस हिसाब से एक घंटे में लगभग पौने छ: रुपये और एक मिनट मेँ डैढ़ आना आमदनी होती है।
अब जरा सोचो, उसी एक मिनट में तुम कम-सें-कम डैढ़ सौ राम नाम का बड़े आराम से उच्चारण कर सकते हो। अर्थात् जितनी देर में छ: पैसे पैदा होते हैं, उतनी देर में डेढ सौ राम-नाम आते हैं। अभिप्राय यह कि एक पैसे में पचीस राम-नाम हुए। इतने पर भी पैसे के लिये तो खूब चेष्टा करते हो और राम-नाम के लिये नहीं। अब बताओ तुमने राम-नाम का महत्व और मूल्य कोडियो के बराबर भी कहाँ समझा? यह हिसाब तो पैंतालीस पचास हजार की वार्षिक आय वाले का हैँ। साधारण आय वाले लोग हिसाब लगाकर देखे और समझें कि राम-नाम की वे कितनी कम कीमत आँकते हैं ।