दूध का दूध पानी का पानी
एक ग्राम में एक वैश्य ने हलवाई की दुकान कर रखी थी । वह हमेशा दूध में बराबर की मात्रा मे पानी मिलाया करता था। । एक दिन वह शहर में सोना खरीदने गया । थकावट हो जाने के कारण रास्ते में उसे नींद आने लगी। वह एक वक्ष के नीचे लेटकर सो गया । उसने अपनी रुपयों की थेली को सिर के नीचे रख लिया। थोड़ी देर बाद एक बन्दर उतरा और रुपयों की , थैली लेकर भाग गया तथा पास में ही नदी के किनारे के पेड पर चढ़ गया। कुछ देर बाद वैश्य की नींद खुली तो उसने देखा , कि रुपयों की थेली गायब है ।
जब उसकी दृष्टि पेड़ पर पड़ी तो एक बन्दर थेली में से रूपये निकाल कर एक-एक करके नदी में गिरा रहा था। पास में बैठा उसके गाँव का एक किसान यह सब दृश्य देख रहा था। वह कहने लगा सेठजी इसने तो दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है।
कहावत है कि ”पानी की कमाई, पानी में ही मिल जाती है।” सेठजी चुपचाप बिना कुछ बोले शेष रुपये उठाकर घर को चले गये।