जानकी नवमी
यह व्रत फाल्गुन कृष्ण पक्ष की नवमी को किया जाता है। समस्त सुहाग सामग्रियों से भगवती सीता का पूजन किया जाता है। वैष्णव धर्मग्रन्थों के अनुसार इसी दिन जानकी जी का जन्म हुआ था। पूजन क्रिया में चावल, जौ, तिल आदि का हवन किया जाता है। इस ब्रत को करने से सन्तान लाभ होता है। तथा समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं। “अचल रहे अहिवात तुम्हारा। जब लगि गंग जुमन जल धारा।” जैसे वाक्यों से पार्वती जी ने सीता को आशीर्वाद दिया था। उसी तरह जानकी जी ब्रत रखने वाली स्त्री को आशीर्वाद देती हैं।