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अशर्फियों से घृणा-Hate to gold coins

अशर्फियों से घृणा
एक दिन एक सिंधी सज्जन किसी कामना से संत मथुरांदास जी को खोजता हुआ उनके पास आया और असर्फिया की थैली सामने रखकर अपनी कामना-पूर्ति के लिये प्रार्थना करने लगा । संत ने उसे समझाया, पर वह जब नहीं माना तब संत जी ने पूछा-अच्छा, एक बात का उत्तर दो कि यदि तुम्हारी लडकी की शादी हो, बारात दरवाजे पर पहुँचने वाली हो, उस समय यदि कोई तुम्हारी रसोई में, जिसको तुमने लिपवा-पुतवाकर साफ रखा हो, अंदर चूल्हे मेँ जाकर टट्टि कर दे तो तुम क्या करोगे ? 
Why Keynesians Hate the Gold Standard :: The Market Oracle ::
Hate to Gold Coins
सिंधी ने कहा…महाराज ! डंडे मार-मारकर हड्डी पसली तोड दूँगा ।
संत बोले…भैया ! इसी प्रकार हम अपने हदय को साफ करके भगवान् की बाट देख रहे हैं, वे मिलने वाले हैं । इसी से हम सब कुछ छोडकर निर्जन गङ्गग्र तट पर एकांत में उनकी पूजा के लिये चौका लगाकर बैठे हैं । तू यह अशफियों की थैली रूप उसमें टट्टी करना चाहता है, बता तेरे साथ क्या बर्ताव करना चाहिये। तुझे शर्म नहीं आती ।सिंधी समझ गया और प्रणाम करके वहाँसै चुपचाप चलता बना ।
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