जहाँ अपना अनुभव काम नहीं कर पा रहा हो, स्थिति डावाँडोल हो रही हो,
तब योगाभ्यासी किसके आधार पर दृढ होता है?
तो इसका उत्तर यही है, कि अपने से जो अधिक अनुभवी लोग हैं, अपने से जो अधिक योग्य हैं, प्राचीन काल के ऋषि मुनि हैं और वेद हैं, उन ग्रन्थों को देखना चाहिये। महान् पुरूषों को देखना चाहिये, कि वे लोग ऐसी परिस्थिति में क्या करते थे। शास्त्र क्या बोलते हैं, कि जब हमारी स्थिति खराब हो रही हो, तब ऐसी परिस्थिति में हमें क्या करना चाहिये। उन प्राचीन ऋषि मुनियों के जीवन वृत्तान्त से, उनके इतिहास से, उनकी दिनचर्या से, उनकी शैली से हमें पता चल जायेगा, कि क्या करना चाहिये और क्या नहीं करना चाहिये।
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