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जेब न भरो-पेट भरो – समझदारी की कहानी

जेब  न भरो – पेट भरो

एक गाँव में ब्रह्य-भोज चल रहा था। वहाँ पर बहुत से लोग भोजन करने को आये थे। वहाँ पर अजीबो-गरीब बात यह थी कि कोई भी व्यक्ति भोजन के सामान को मुख में रखने के स्थान पर अपनी जेबों में रख रहे थे।
यह देखकर एक समझदार मनुष्य बोला -अरे ओ लोभी मनुष्यां! यह तुम क्या कर रहे हो? क्या जेब भरने से तुम्हारी भूख मिट जायेगी। जेब में रखने के स्थान पर जब तुम अपने मुख में डालोगे, तब ही पेट की भूख मिटेगी | तुम लोगों को भोजन करने के लिए बुलाया गया है, जेब भरने के लिए नहीं । यह तो तुम एक प्रकार से चोरी कर रहे हो । यह सुनकर सब लोग शरमा गये और भोजन करने लगे। इससे प्रत्येक व्यक्ति की तृप्ति हुई और मालिक का नष्ट होता हुआ माल भी बच गया।
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इससे सिद्ध होता है कि बहुत से लोग विद्या ग्रहण करते हैं और उस ज्ञान से वे सब प्रपंच रचकर अपनी जेबें भरते हैं। वे अपने मन का तृप्ति प्राप्त करने में असमर्थ रहते हैं । धन का उपयोग भी यदि जेब भरने के स्थान पर दीन-दुरिबयों ‘का पेट भरने के काम में लायें तो कितना बड़ा कल्याण हो सकता है।
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