चेतन तत्व
भगवान से निस्वार्थ प्रेम करने से, उनका गुणगान करने से ओर उनका ध्यान करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है। पृभु की प्रशन्नता से व्यक्ति के जीवन में सुख सम्पदा ओर शांति की प्राप्ति होती है। जब व्यक्ति सत्य और धर्म को भूल जाता है, तब उसका चेतन शरीर, शिवरूप से विमुख होकर शव रूप धारण कर लेता है। मानो कोई मुर्दा जी रहा हो।
पापी से पापी व्यक्ति भी अगर पृभु का स्मरण करने लगता है, तो धीरे-२ उसके पाप नष्ट होने लगते हैं। प्रत्येक व्यक्ति खाली हाथ जन्म लेता है ओर खाली हाथ ही वापस जाता है। व्यक्ति को चाहिये कि वह व्यर्थ की भागदौड़ न करें।आजकल व्यक्ति जीवन भर भौतिक पदार्थों के पीछे दौड़ रहा है।
भाई! जरा विचार करो कि दौड़ने से शांति कैसे मिल सकती है? दौड़ने का श्रम न करके, “आप अपनी और देखें।” अपना आत्मनिरीक्षण करें, अपने चेतन तत्व को ढूंढें। आपका चेतन तत्व सदा आनन्द में डुबा हुआ है। हम स्वयं आनन्दरूप होते हुए, असार वस्तुओं के पीछे भागें, क्या यह बात उचित होगी?
संसारी लोगों की व्यथा सुनने के लिये हमारे पास बहुत समय है। किंतु ईश्वर की कथा सुनने के लिये हमारे पास समय नहीं है। जब मनुष्य को सन्तों के मुख से परमात्मा की कथा सुनने का अवसर प्राप्त होता है, तब उसके पाप, ताप, सन्ताप ओर अशांति आदि दुविधाएँ मिटने लगती हैं।
जैसे हम शरीर को शुद्ध करते हैं वैसे ही मन को निर्मल करना भी जरूरी है। मन का शुद्धिकरण सत्य, दया, दान, धर्म और पृभु के स्मरण से होता है।