लालाजी की बहादुरी
किसी गाँव में एक लालाजी रहते थे । एक दिन खूब वर्षा हुई। चारों तरफ पानी ही पानी दिखाई पड़ रहा था। लालाजी पास के जंगल में दीर्घ शंका के लिए गये और एक गढ़ढ़े के पास बैठ गये।
अभी लालाजी ने आबदस्त करना ही प्रारम्भ किया था । कि मेंढ़कों ने टर्राना शुरू कर दिया। लालाजी ने शाम के समय जब मेंढ॒कों की डरावनी आवाज सुनी तो उससे डर गये, परन्तु रौब दिखाते हुए बोले-
टर्र टर्र क्या करत हो, हमको नहीं तुम्हारा डर।
धोने दे तो धोने दे, नहीं तो जा धोयेंगे घर॥