अपने ही गज से सबको मत मापो
एक तेली ने एक तोता पाल रखा था। किसी कारण वश तेली को दुकान छोड़कर कहीं जाना पड़ा। इतने में एक बिल्ली आयी। उसे देखकर तोता घबरा गया और पिंजड़े में छटपटाने लगा ।
इससे पिजड़ा तेल से भरे एक बर्तन पर गिर गया। इससे तेल से भरा बर्तन टूट गया। इसी समय तेली आ पहुचा। तेल को बहता देखकर तेली गुस्से में भर गया और तोते के माथे के बाल नोंच डाले।
ऐसा करने से तोते का माथा गंजा हो गया। तोते को इससे बहुत दुःख हुआ। इसी समय सदगृहस्थ सेठ अपने नौकर के साथ खुले सिर उसकी दुकान पर आया उसकी गंजी खोपड़ी देखकर तोता खूब हंसा। सेठ ने तोते से हंसने का कारण पूछा।
तोता बोला मैं समझता था कि मैं ही इस तेली का नौकर हूं, जिससे तेली ने मेरी खोपड़ी गंजी कर दी है। आज अपने ही जैसे एक दूसरे तेली के नौकर को देखकर मुझे बड़ा आनन्द मिला है।
यह सुनकर सेठ हस पड़ा कि किस प्रकार लोग अपने अवगुणों की दूसरों से तुलना कर लेते हैं। सेठ की खोपड़ी तो स्वभाविक रूप से ही गंजी थी।