ब्रह्म ज्ञान।
जगह देख कै बाग लगा दिया, छोटी-२ क्यारी।
तरह-२ के फूल बाग में, खुशबू न्यारी-२।।
दो दरवाजे गड़े बाग में, देख्या भीतर बड़ कै।
एक पानी का चलै फ़ौहारा, मन चाहे जब छिडकै।
मानस रख लियबाग बीच मे, बाग का माली करकै।
पत्ता तक भी तोड़न दे ना, देखें जा गिर पड़ कै।
ना देखै तो किसने बतावै, उस की जिम्मेवारी।।
दो दरवाजे लगे बाग में, न्यारे-२ पागे।
एक दरवाजा इसा लगा जो, भीतर चीज पहुंचा दे।
दो दरवाजे इसे लगे जो, सारी खबर सुना दे ।
एक दरवाजा इसा लगा जो, गन्दगी बाहर बगा दे।
दो दरवाजे इसे बाग में, या दीखे दुनिया सारी।।
बाग बीच मे फिरके देखा, काफी चीज खाण ने।
एक पानी का पम्प चलै था, पीवण ओर नहाण नै।
जितना पानी गन्दा हो, एक रस्ता बाहर जाण नै।
एक दरवाजे पै लौडस्पीकर, आनन्द राग गाण नै
छुट्टी के दिन पूरे होंगे, फेर आ पहुंचा दरबारी।।
एक पानी का पम्प चलै था, पीवण ओर नहाण नै।
जितना पानी गन्दा हो, एक रस्ता बाहर जाण नै।
एक दरवाजे पै लौडस्पीकर, आनन्द राग गाण नै
छुट्टी के दिन पूरे होंगे, फेर आ पहुंचा दरबारी।।