Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
हंसा निकल गया पिंजरे से, खाली पड़ी रही तसवीर।
यम के दूत लेन नै आए, तनक धरै ना धीर।
मार के सोंटा प्राण काढलें, बहे नैन से नीर।
बहुत मनाए दई देवता, बहुत मनाए पीर।
अंत समय कोए काम न आवै, जाना पड़े अखीर।।
कोए रोवै कोए तनै न्हवावै, कोए उढ़ावै चीर।
चार जने रल मता उपाया, ले गए मरघट तीर।।
घाव कर्म के कोए न जानै, संग ना चलै शरीर।
जा जंगल में चिता चिनाई, कह गए सन्त कबीर।।