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कबीर घट ही में अविनाशी – Kabir Ke Shabd-ghat hi men avinaashi। saadho ghat।।

SANT KABIR (Inspirational Biographies for Children) (Hindi Edition ...
Kabir Ke Shabd 

कबीर के शब्द

घट ही में अविनाशी। साधो घट।।
काहे रे नर मुथरा जावै, काहे जावै कांसी।

तेरे तन में बसै निरंजन, जो बैकुण्ठ निवासी।।

नहीं पाताल नहीं स्वर्ग लोक, नहीं सागर जल राशि।
जो जन सुमरण करत निरंतर, सदा रहे तिन पासी।।

जो तूँ उसको देखा चाहवै, तब तूँ होय उदासी।
बैठ एकांत ध्यान नित कीजे, होय जोत प्रकाशी।।

हृदय में जब दर्शन होवै, सकल मोह टीम जासी।
ब्रह्मानन्द मोक्ष पद पावै,कटै जन्म की फांसी।।
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