ईश्वर की तलाश – Seeking god
एक व्यापारी धान्य से सम्पन्न था। लेकिन उस के चित्त में शांति नहीं थी। उसके शहर में एक महात्मा आए। उन्होंने एक प्रवचन में बताया कि परमात्मा ही शांति दे सकता है, इसलिये उसकी तलाश करो। व्यापारी एक दिन परमात्मा की तलाश में निकल पड़ा। वर्षों देशाटन करता रहा, लेकिन उसे परमात्मा के दर्शन नहीं हुए। समस्याएं बढ़ती ही गई। अपना शहर छूट गया। व्यापार छूट गया। स्वास्थ्य गिरने लगा।
उसने सोचा अगर घर नहीं लौटे तो प्रदेश में ही कहीं मृत्य हो जाएगी। लेकिन शांति के लिये परमात्मा से मिलने की उसकी प्यास खत्म नहीं हुई थी। वह आगे ही आगे बढ़ता गया। यात्रा करते हुए वह एक नए शहर में पहुंचा। वहां किसी महात्मा का प्रवचन चल रहा था। आवाज जानी- पहचानी लगी। वह उनके पास गया। महात्मा के पास पहुंचते ही वह फूट फूट कर रोने लगा। महात्मा ने कारण पूछा, तो व्यापारी ने बताया, “आपने मुझे शांति के लिये ईश्वर की तलाश करने के लिये कहा था।
तब से ही मैं शहर दर शहर धर्मिक स्थलों पर भटक रहा हूँ, लेकिन ईश्वर का कहीं पता नहीं है। महात्मा ने व्यापारी को समझाया, “वत्स मेरी बात तुमने शायद नहीं सुनी थी। मैंने तुम्हें बाहर नहीं, बल्कि अपने भीतर ही ईश्वर को तलाश करने के लिये कहा था, क्योंकि वह वहीं रहता है। तुम घर लौट जाओ औऱ अपने अंदर ही ईश्वर की तलाश में लगो। वह तुम्हे वहीं मिलेगा।