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कबीरदास मेरे पिया बिना दर्द कालजे होए – Kabir Das Mere Piya Bina dard kaleja hoye.

Kabir das Poem Mere piya bina dard kaleja hoye.

कबीर दास
मेरे पिया बिना दर्द कालजे होए।

मेरे पिया बिना दर्द कालजे होए।
दिन नहीं चैन रैन नहीं निंद्रा,
नैन गंवाए रो रोए।
आधी सी रात का पिछला पहरवा जी,
तड़प-२गई सोए।
पाँचों को मार पच्चिसौं वश कर जी,
इन माँ ते कोए भी होए।
कह कबीर सुनो भई साधो जी
गुरु मिले सुख होय।
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