कबीर चेतावनी गजल १३४
बने तो कुछ बरस करले इक साथ जावेगा। टेक
गया अवसर न तेरे फिर ये हरगिज हाथ आवेगा।
दिवाना बनके दुनियां में समय अनमोल खोता है।
दिये लाखों की दौलत भी न फल रहते तू पायेगा।
धरी रह जायेगी तेरी अकड़ सारी ठिकाने पर।
जब आके यम जकड़े गरदन पकड़कर दबायेगा।
कुटुम्ब परिवार सुत कोई सहायक होगा न कोई।
तेरे पापों की गठरी खुद तूही शिर उठावेगा।
गर्भ में था तूने न भूलूंगा प्रभु तुमको,
भला तू पायेगा अपना उसे क्या मुंह दिखायेगा।
तुझे तो धन से जंगल में तेरा ही खुद बखुद बेटा
सुला के लकड़ियों के ढेर में तुमको भुलावेगा।
कहै कबीर सुनो भाई साधो कहना मान ले भाई
नहीं तो अपनी ठकुराई बृथा सारी गंवावेगा।
बने तो कुछ बरस करले इक साथ जावेगा। टेक
गया अवसर न तेरे फिर ये हरगिज हाथ आवेगा।
दिवाना बनके दुनियां में समय अनमोल खोता है।
दिये लाखों की दौलत भी न फल रहते तू पायेगा।
धरी रह जायेगी तेरी अकड़ सारी ठिकाने पर।
जब आके यम जकड़े गरदन पकड़कर दबायेगा।
कुटुम्ब परिवार सुत कोई सहायक होगा न कोई।
तेरे पापों की गठरी खुद तूही शिर उठावेगा।
गर्भ में था तूने न भूलूंगा प्रभु तुमको,
भला तू पायेगा अपना उसे क्या मुंह दिखायेगा।
तुझे तो धन से जंगल में तेरा ही खुद बखुद बेटा
सुला के लकड़ियों के ढेर में तुमको भुलावेगा।
कहै कबीर सुनो भाई साधो कहना मान ले भाई
नहीं तो अपनी ठकुराई बृथा सारी गंवावेगा।