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राग झंझोटी-२८
सुतु ब्रह्म जन्म गंववसे हरि भक्ति बिना टेक
का धे
अंगोछा धारे,
तिलक चढ़ाए चन्दना।
अग
कान पकड़ि मूढ़ लिए लटकाई,
नेवाय करे रटना,
सुरा कटाय मांगे मांगे दक्षिणा।
ब्राह्मण न आवत जैसे आवत कसाई ।

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