Search

तुम से लेना हराम है – it is forbidden to take from you

तुम से लेना हराम है

स्वतंत्र देश का भिखमंगा, कहता तुझे हराम।
वो क्‍या देगा और को, जो है स्वयं गुलाम ॥

एक बार की बात है कि एक भारतीय नवयुवक भारत से मिश्र देश में गया। वह वहाँ एक होटल में रहने लगा। एक दिन वह मिश्र के बाजार में सैर कर रहा था कि उसकी दृष्टि एक फकीर पर पड़ी। उसने देखा कि फकौर सूखकर कांटा हो गया है। उसके बदन पर मैले कुचेले फटे पुराने कपड़े हैं।
 वह फकौर आवाज लगा रहा था कि-“खुदा के नाम पर मुझे कुछ दे दो।” फकौर की यह दशा देखकर उस भारतीय नवयुवक ने अपनी जेब से रुपये निकालकर उसे दे दिये। फकीर ने पाँच रुपये ले लिये और बहुत ही प्रसन्न हुआ। परन्तु जब उसकी दृष्टि उस नवयुवक पर गई तो वह कुछ झिझक कर बोला-भाई तुम किस देश के रहने वाले हो? उस नौजवान ने बताया कि में भारतवर्ष का रहने वाला हूँ। नौ जवान के ये शब्द सुनते ही फकीर ने  उसके पाँच रुपये लौटा दिये। उसने पूछा -बाबा तुम यह । रुपये क्‍यों लौटा रहे हो? 
फकीर बोला- बस चुप रहिए। वह मुझे या किसी और को क्‍या दे सकता है जो गुलाम हो। तुम गुलाम देश के  गुलाम व्यक्ति हो और मुझे गुलाम व्यक्तियों से कुछ लेना हराम है। वह भारतीय नौजवान मिश्र देश के एक फकीर की यह बात सुनकर अचंम्भित रह गया और आँखों में आँसू । भरकर बोला- बाबा आप सच कहते हो-

आधीन होकर बुर है जीना। 
है जीना अच्छा स्वतंत्र होकर॥ 
हे भाइयों! यह सत्य है कि पराधीन सपने सुख नाहीं। आओ हम सब भारतीय साम्प्रदायिक विवादों को भुलाकर एक झण्डे के नीचे आ सदा के लिए दास्ता के बंधन से मुक्त रहे। 
Share this article :
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply

CALLENDER
September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
FOLLOW & SUBSCRIBE