Search

कबीर भजन १५४

कबीर भजन १५४
हम तो एक ही कर वाना। टेक
दोउ कहे ताको दुविधा है,

जिन हरि नाम न जाना।
एक पवन एक ही पानी,
एक ही जोति संसार समानी।
एक मिट्टी के लाख घडीले,
एक उपजावन बखाना।
गाया देखकर जात भुलाना काहे,
रे नर तू गरवाना |
कहै कबीर सुनो भाई साधो,
हरि हम हाथ बिकाना।
Share this article :
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply

CALLENDER
September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
FOLLOW & SUBSCRIBE