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कबीर भजन १५३

कबीर भजन १५३
तोरी गठरी में लागे चोर। टेक
बटोहिया काहे सोवे ।
पाच पच्चीस तीन हैं चोरा,
यह सब कीन्हा शोर ।
जाग सवेरा बाट सबेरा,
फिर न लागे जोर।
भवसागर एक नदी बहत है,
बिन उतरे जीव शोरा
कहै कबीर सुनो भाई साधो,
जागत कीजे भोर।
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