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हुनर से ह्वीन मनुष्य को कही लड्की दी जाती है ?

हुनर से ह्वीन मनुष्य को कही लड्की दी जाती है ? 

एक बड़े जमींदार ने एक धनवान व्यक्ति से लड़की मांगी । उस धनवान ने कहा—तुम भले ही जमींदार हो, सम्मान वाले हो परन्तु तुम्हारे पास कोई हुनर नहीं है । इसल्लिए मैं अपना प॒त्री तुम्हें नहीं दे सकता। जमींदार को यह बात चुभ गई । घर आकर उसने टोपी सदरी सीना सीरखा | अब उसने फिर धनवान व्यक्ति की पुत्री मांगी। अब की जार उसने तुरन्त अपनी पुत्री की शादी उसके साथ कर दी। कुछ समय बाद एक बड़े राजा ने उसकी जमांदारी छान ली। इस कारण से वह गराब बन गया। लेकिन अब वह सिलाई का काम जानने के कारण कपड़े सीने का काम करने लगा | इससे उसकी जीविका चल निकला । इसा समय उसे अपने श्वसूर का बात स्मरण हो आई ।। पुरातन काल में अधिकांश राजा अपनी ही कमाई रखाते . थे। यह बात राजा जनक के हल जोतते समय सीता की उत्पत्ति से भी सिद्ध होती है। … मुस्लिम बादशाहों में औरंगजेब ने तो अपने कफन के . लिए भी अपनी कमाई स पेसे जुटा लिया था। क्‍ इस समय के नेता भी यदि स्वयं कमाकर रखाने का . प्रबन्ध करें तो प्रजा का बड़ा कल्याण हो सकता है। 
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