स्टीव जॉब्स का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है, जिसमें उन्होंने अपनी दूरदृष्टि और नवाचार के माध्यम से प्रौद्योगिकी की दुनिया में क्रांति ला दी। स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फरवरी 1955 को सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में हुआ था। उनका असली नाम स्टीवन पॉल जॉब्स था। जॉब्स को उनके जन्म के बाद पॉल और क्लारा जॉब्स द्वारा गोद लिया गया था।
स्टीव जॉब्स का प्रारंभिक जीवन कठिनाइयों से भरा था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा माउंटेन व्यू, कैलिफोर्निया में हुई। जॉब्स ने होमस्टेड हाई स्कूल से स्नातक की पढ़ाई की और इसके बाद रीड कॉलेज, पोर्टलैंड में दाखिला लिया, लेकिन उन्होंने वहां से स्नातक की पढ़ाई पूरी नहीं की। उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया, लेकिन वहां उन्होंने कई कक्षाओं में भाग लिया जो बाद में उनके करियर में महत्वपूर्ण साबित हुईं।
स्टीव जॉब्स और उनके मित्र स्टीव वॉजनियाक ने 1976 में अपने गैरेज में ऐप्पल कंपनी की स्थापना की। उन्होंने ऐप्पल I कंप्यूटर बनाया, जो व्यक्तिगत कंप्यूटर के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इसके बाद, 1977 में ऐप्पल II को लॉन्च किया गया, जिसने कंपनी को व्यापक पहचान दिलाई और व्यक्तिगत कंप्यूटर बाजार में क्रांति ला दी।
1984 में, ऐप्पल ने Macintosh कंप्यूटर लॉन्च किया, जो ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) वाला पहला कंप्यूटर था। हालांकि, Macintosh की प्रारंभिक सफलता के बावजूद, जॉब्स को कंपनी के भीतर आंतरिक संघर्षों का सामना करना पड़ा। 1985 में, वे ऐप्पल से बाहर हो गए।
ऐप्पल से बाहर होने के बाद, जॉब्स ने नेक्स्ट कंप्यूटर की स्थापना की, जिसने उच्च शिक्षा और व्यावसायिक बाजार के लिए कंप्यूटर बनाए। इस दौरान, जॉब्स ने पिक्सार एनिमेशन स्टूडियोज़ को खरीदा, जो बाद में वॉल्ट डिज़्नी कंपनी के साथ मिलकर कई सफल एनिमेटेड फ़िल्में बनाने में सफल रहा, जैसे कि “टॉय स्टोरी,” “फाइंडिंग निमो,” और “द इनक्रेडिबल्स।”
1996 में, ऐप्पल ने नेक्स्ट का अधिग्रहण किया और जॉब्स को कंपनी में वापस बुला लिया गया। उनकी वापसी के बाद, ऐप्पल ने आईमैक, आईपॉड, आईफोन और आईपैड जैसे नवाचारी उत्पादों को लॉन्च किया, जो उद्योग में मानक बन गए और ऐप्पल को विश्व की सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक बना दिया।
स्टीव जॉब्स का व्यक्तिगत जीवन भी उतार-चढ़ाव से भरा था। उन्होंने 1991 में लॉरेन पॉवेल से विवाह किया, और उनके तीन बच्चे हुए। 2003 में, उन्हें अग्न्याशय के कैंसर का पता चला, जिसके बाद उन्होंने कई सालों तक इस बीमारी से संघर्ष किया। 5 अक्टूबर 2011 को स्टीव जॉब्स का निधन हो गया, लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत आज भी जीवित है।
स्टीव जॉब्स ने अपने नवाचार, दृष्टि और अद्वितीय सोच के माध्यम से प्रौद्योगिकी और डिज़ाइन के क्षेत्र में अनगिनत बदलाव लाए। उनकी जीवन कहानी हमें सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद, अगर हमारे पास दृष्टि और समर्पण हो, तो हम असंभव को भी संभव बना सकते हैं। स्टीव जॉब्स का जीवन और कार्य हमें निरंतर प्रेरित करते रहेंगे।