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चुगताती जाणां तो चिड़िया

चुगताती जाणां तो चिड़िया 

किसी गाँव में कहीं से एक मेंढक आ गया | गाँववामियो ने पहले कभी मेंढक को नहीं देखा था। इस कारण मेंढक के पास काफी भीड़ एकत्र हो गई, सभी उसका नाम जानने को आपस में वाद-विवाद करने लगे। एक ने सुझाव दिया-“ अरे! थाने ई बात को वैरो कोन्या पड़ोसी। चलो बाबाजी भाले चालरयों वे सही ई को नाम बतासी। ” 
उसकी बात सुनकर वे सब एक अस्सी वर्ष के बूढ़े बाबा के पास गये। वहाँ जाकर मेंढक को उसके सामने करते हुए बोले—” म्हाने एक यो जानवर पायो छे, पर म्हेंई को नाम जाथां कोन्या | सो थेई को नाम बताकर म्हारा भरम मिटाओ।’ 
उनकी यह बात सुनकर और मेंढक को भली भांति उलट पलट कर बूढ़े ने कहा-भाया! बाज रीर दाना ल्याय ई के भाले गेरो । चुगतासी जाणां तो चिड़िया नहिं जाएां म्हे भा कोन्या। बाजरे के दाने लाकर इसके सामने डालो, यदि यह उन्हें चुग लेगा तो यह कोई चिड़िया है। नहीं तो मुझे भी इसका नाम ज्ञात नहीं है। यह कहकर वह वृद्ध आखों में आँसू ले आया और सुबक सुबक कर रोने लगा। 
तब गाँव के लोगों ने कहा–बाबाजी ! ये रोवण क्‍यों लाग्या? थाने कोई खोटी बात को किन्‍्हीं नहीं सुणांदी छे। उनकी यह बात सुनकर वृद्ध बोला–रे थे तो तो भोला ही रह्मा म्हनेई गाँवणां में खोटी बात कुण कहण की हिम्मत राखे छे। म्हे तो ई बात सागे रोवा छा कि म्हे मरजासी तब थाने इसी बात कुण बतायी।
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