गैब्रियल गार्सिया मारक्वेज का जन्म 6 मार्च 1927 को कोलंबिया के अराकाटाका नामक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्हें उनके प्रशंसकों और दोस्तों द्वारा प्यार से “गाबो” कहा जाता था। मारक्वेज ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बोगोटा और कार्टाजेना में प्राप्त की। उन्होंने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोलंबिया से कानून की पढ़ाई शुरू की, लेकिन उन्होंने पत्रकारिता में अपना करियर बनाने का निर्णय लिया।
मारक्वेज ने पत्रकारिता के साथ-साथ साहित्य में भी अपना नाम कमाया। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति “सौ साल का अकेलापन” (Cien Años de Soledad) 1967 में प्रकाशित हुई, जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई। यह उपन्यास जादुई यथार्थवाद (मैजिक रियलिज्म) शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें वास्तविकता और कल्पना का अद्भुत मेल होता है। इस कृति ने मारक्वेज को साहित्य जगत में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया और उन्हें 1982 में नोबेल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मारक्वेज ने कई अन्य महत्वपूर्ण कृतियाँ भी लिखी हैं, जिनमें “लव इन द टाइम ऑफ कॉलरा” (1985), “क्रॉनिकल ऑफ ए डेथ फोरटोल्ड” (1981), और “वन हंड्रेड डेज़ ऑफ सॉलिट्यूड” शामिल हैं। उनकी लेखनी में लैटिन अमेरिकी समाज, राजनीति, और संस्कृति की गहरी झलक मिलती है।
उनकी शैली में जादुई यथार्थवाद का उपयोग उन्हें विशेष बनाता है। उनकी कृतियों में ऐतिहासिक घटनाएँ, पारिवारिक गाथाएँ, और सामाजित मुद्दे सम्मिलित होते हैं, जो पाठकों को एक अद्वितीय साहित्यिक अनुभव प्रदान करते हैं।
गैब्रियल गार्सिया मारक्वेज का निधन 17 अप्रैल 2014 को मेक्सिको सिटी में हुआ। उनकी रचनाएँ और योगदान साहित्य की दुनिया में हमेशा जीवित रहेंगे और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।