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कबीर भजन राग चेरा ११०

कबीर भजन राग चेरा ११०
बिना सतसंग कुमति ना छूटि।टेक

चाहे जाओ मथुरा चाहे जाओ काशी
हिरदय की मोह गीता चाहे पढ़ो पोथी
हिये कपट की चारों फूटी
चाहे पूजो देवी चाहे पूजो देवता
मैं ठगनी भव देश की झूठी
कहत कबीर सुनो भई साध
तो लेत सन्त नाम की बूटी

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