सर आइज़ैक न्यूटन, एक प्रमुख वैज्ञानिक और गणितज्ञ, का जन्म 25 दिसंबर 1642 को इंग्लैंड के लिंकनशायर में हुआ था। न्यूटन को उनके गति और गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांतों के लिए जाना जाता है, जो भौतिकी और खगोल विज्ञान में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए।
न्यूटन का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का निधन उनके जन्म से पहले ही हो गया था, और उनकी माँ ने दूसरी शादी कर ली थी। न्यूटन का बचपन संघर्षपूर्ण रहा और उनकी शिक्षा भी बाधित हुई। हालांकि, उनकी माँ ने उन्हें पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया और 1661 में उन्हें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में दाखिला दिलवाया।
कैम्ब्रिज में न्यूटन ने गणित और विज्ञान में गहन अध्ययन किया। 1665 में प्लेग महामारी के कारण विश्वविद्यालय बंद हो गया, और न्यूटन को घर लौटना पड़ा। इस अवधि के दौरान, उन्होंने अपने घर में रहकर अपने कई महत्वपूर्ण सिद्धांतों को विकसित किया।
न्यूटन का सबसे प्रसिद्ध योगदान उनका गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत है। 1665-66 में, एक सेब के पेड़ के नीचे बैठे हुए, न्यूटन ने सोचा कि सेब क्यों गिरता है। इस प्रश्न ने उन्हें गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की ओर प्रेरित किया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि पृथ्वी पर वस्तुएं गुरुत्वाकर्षण बल के कारण गिरती हैं, और यही बल चंद्रमा को पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए भी जिम्मेदार है।न्यूटन ने गति के तीन नियम प्रतिपादित किए, जिन्हें न्यूटन के गति के नियम कहा जाता है:
1. प्रथम नियम (जड़त्व का नियम): एक वस्तु अपने स्थिर अवस्था में या समान गति से चलती रहेगी, जब तक कि उस पर बाहरी बल न लगाया जाए।
2. द्वितीय नियम (बल और संवेग का नियम): एक वस्तु का संवेग परिवर्तन उसके लगने वाले बल के समानुपाती होता है।
3. तृतीय नियम (प्रतिक्रिया का नियम): प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत दिशा में एक प्रतिक्रिया होती है।
न्यूटन ने प्रकाश और रंगों पर भी महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने साबित किया कि सफेद प्रकाश वास्तव में विभिन्न रंगों के प्रकाश का मिश्रण होता है। उन्होंने प्रिज्म का उपयोग करके प्रकाश को विभिन्न रंगों में विभाजित किया और प्रकाश के कण सिद्धांत का समर्थन किया।
1687 में, न्यूटन ने अपनी महान कृति “प्रिंसिपिया” (Philosophiæ Naturalis Principia Mathematica) प्रकाशित की। इस पुस्तक में उन्होंने गुरुत्वाकर्षण और गति के सिद्धांतों को विस्तृत रूप में प्रस्तुत किया। “प्रिंसिपिया” को विज्ञान के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण पुस्तकों में से एक माना जाता है।
न्यूटन का व्यक्तिगत जीवन सरल और सादा था। वे अविवाहित रहे और अपने जीवन का अधिकांश समय अध्ययन और अनुसंधान में बिताया। वे एकांतप्रिय व्यक्ति थे और सार्वजनिक जीवन से दूर रहते थे
न्यूटन को उनके वैज्ञानिक योगदान के लिए अनेक सम्मान मिले। 1705 में, उन्हें महारानी ऐनी द्वारा नाइट की उपाधि से सम्मानित किया गया, जिससे वे “सर आइज़ैक न्यूटन” कहलाए। उन्हें रॉयल सोसाइटी का अध्यक्ष भी चुना गया।
न्यूटन का निधन 31 मार्च 1727 को लंदन में हुआ। उनकी मृत्यु के बाद, उन्हें वेस्टमिंस्टर ऐबी में सम्मानपूर्वक दफनाया गया।
आइज़ैक न्यूटन का जीवन और कार्य विज्ञान के क्षेत्र में एक मील का पत्थर हैं। उनके गुरुत्वाकर्षण और गति के सिद्धांतों ने आधुनिक भौतिकी की नींव रखी और उनके प्रकाश के सिद्धांत ने ऑप्टिक्स में क्रांति ला दी। न्यूटन की वैज्ञानिक दृष्टि और नवाचारी सोच ने उन्हें इतिहास के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक बना दिया है।