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जब मेरा कान्हा कलेवा माँगे तो – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

जब मेरा कान्हा कलेवा माँगे तो 

दे दूँ माखन मिश्री हो राम
जब मेरा कान्हा दुलहनिया माँगे तो
दे दूँ वृषभान, की लाडली हो राम
जब मेरा कान्हा बंसरी माँगे तो
दे दूँ हरे हरे बाँस की पोरी हो राम
फूटी थाली भोजन खाये उसका जनम अकारथ जाये
फूटे लोटे सींचन जाए उसका जनम अकारथ जाये
पीपल काटे गडे किवाड उसका जनम अकारथ जाये
सास पीसे बहुअल खाए उसका जनम अकारथ जाये
घर घी ने जो रूखा खाये उसका जनम अकारथ जाये
घर घोड़ी जो पेदल जाये उसका जनम अकारथ जाये
बेटी के घर बाबुल खाये उसका जनम अकारथ जाये
साबुत थाली भोजन खाए उसका जनम सफल हो जाये साबुत लोटे सींचन जाये उसका जनम सफल हो जाये
चंदन काटे गढे किवाड उसका जनम सफल हो जाये बहुअल पीसे सासू खाए उसका जनम सफल हो जाये
घर घी ने जो चुपडी खाये उसका जनम सफल हो जाये
घर घोड़ी जो चढ़ कर जाये उसका जनम सफल हो जाये बाबुल के घर बेटी जीमे उसका जनम सफल हो जाये
नहाए धोए मन्दिर में जाए उसका जनम सफल हो जाये
जै घर कन्या कंवारी होए जै घर राम सवारी होए जिस घर बालक खेले राम उस घर राम लियो अवतार जो देगी बिल्ली ने ग्रास वो पावे वृन्दावन वास जो देगी कुत्ते ने ग्रास वो पावे बैकुंठ में वास जो देगी कन्या ने ग्रास वो पावेंगी सदा सुहाग जिस घर तुलसा हरी भरी उसके मन की सदा रली धनगोरी धन तेरे भाग तू नहाई धन कार्तिक मास तू धन नहाई उतरे पाप, पाप कटे थे परली पार साई पूछे मेरी नार तेरे मन में क्‍या उपकार सासूजी के लागे पाव नन्दूली उडाऊ चीर सदा जीयो बाई का बीर
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