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वत्स द्वादशी की कथा – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

वत्स द्वादशी की कथा

भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की द्वादशी को पहली श्री कृष्ण को माता यशादा ने अच्छी प्रकार से सजाकर और पूजा पाठ आदि करा के गौएं और बछडठ़े चराने भेजा था। पूजा-पाठ के बाद कृष्ण ने सभी बछडे खोल दिये। चिंता दिखाते हुए यशोदा ने बलराम से कहा, “’बछडों को चराने दुर मत निकल जाना। श्री कृष्ण को अकेले मत छोडना।”” श्रीकृष्ण द्वएरा गोवत्सचारण की इस पुण्य तिथि को पर्व के रूप में मनाया जाता है।
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