षटतिला एकादशी
यह व्रत माघ कृष्ण पक्ष एकादशी को किया जाता है। इसके अधिष्ठाता देव भगवान विष्णु हैं। पंचामृत में तिल मिलाकर भगवान को स्नान करायें। इस प्रकार जो मनुष्य जितने तिलों का दान करता है। वह उतने ही सहस्र वर्ष स्वर्ग में वास करता हैे। तिलमिश्रित पदार्थ को स्वयं खायें तथा ब्राह्मणों को खिला दे। दिन में हरि कीर्तन कर रात्रि में भगवान की मूर्ति के सामने सोना चाहिए। छ: प्रकार के तिल प्रयोग होने के कारण इसे ‘षटतिला एकादशी ‘ के नाम से पुकारते हैं। इस प्रकार नियमपूर्वक पूजा करने पर बेकुण्ठ लोक की प्राप्ति होती हे।