महालक्ष्मी व्रत
यह व्रत भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाष्टमी के रूप किया जाता है। इस व्रत का बहुत ही महत्व है। यह भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से प्रारम्भ होकर आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक चलता है। इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।
व्रत का विधान
लक्ष्मी जी की मूर्ति को स्नानादि कराकर नये वस्त्र पहनाये जाते हैं। फिर लक्ष्मी जी को भोग लगाकर और आचमन कराकर फूल, धूप, दीप, चन्दन द्वारा आरती उतारी जाती है। आरती के बाद प्रसार वितरण करते हैं। रात को चंद्रमा के निकलने पर अर्ध्य के पश्चात् ही स्वयं भोजन का सेवन करते हैं।