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काँवड़ महिमा – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

काँवड़ महिमा

भगवान शिव, पदन-यात्रा द्वारा काँवड में लाये गंगाजल से अति प्रसन्न होते हैं। कलियुग में जहां लाखों लोग 1 किलोमीटर भी देनिक दिनचर्या में पेदल नहीं चलते। वे सब सावन व फाल्गुन के महीने में भगवान शिव के आर्शीवाद से 100 किलोमीटर से 600 किलोमीटर तक का कठिन रास्ता पैदल चलकर आते हैं। और भगवान भोलेनाथ पर गंगाजल से अभिषेक करते हैं। और पूरे रास्ते बम-बोल बम का उच्चारण करते चलते हैं। व “३७ नम: शिवाय” का जाप करते हैं।
भोलेबाबा अपने भक्तों की सभी मनोकामना शीघ्रता से पूरी करते हैं। भक्तों की श्रद्धा और निष्ठा भाव देखने लायक होता हे। जब उनके पैरों में छाले होते हैं। और वो “3७ नम: शिवाय”” का जाप करते हुए अपनी मंजिल पर पहुंच जाते हैं। तेज धूप, आंधी ओर मूसलाधार वर्षा में भी नहीं रुकते ओर “35% नम: शिवाय’” का जाप करते हुए आगे बढ़ते रहते हैं। जब सभी भकक्‍तजन भोलेबाबा के भवन में पहुंचकर गंगाजल से उनका अभिषेक करते हैं, तो उनकी सब पीड़ा ओर थकान दूर हो जाती है और वह खुशी से झूम उठते हैं।
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