दीवाली पूजन की सामग्री
दीवाली पूजन की सामग्री में दो कच्चे दीये, दो चारमुख वाले दीय-बीच में रख दोनों कोनों में तीस छोटे दीये रख दें। दीये में तेल डालकर, बत्ती डालकर दीये जला लें। बाद में मोली, रोली, चावल, फूल, गुड़, अबीर, गुलाल, धूप, चार, सुहाली, गुड़, दक्षिणा चढ़ाएं और फेरी दें। पहले पुरुष पूजा करें, बाद में स्त्रियां पूजा करने के बाद सब कमरों में, चौक में, रसोई में रख दें। एक चार मुख वाला दीया ओर छ: छोटे दिये लक्ष्मीजी जहां बनाये वहीं पर उसी पर रख दें। औरतें लक्ष्मीजी का व्रत कर पूजा करने के बाद जीम और तिजोरी (गल्ले) में गणेशजी लक्ष्मीजी रखें। पूजा करने के बाद आपकी जितनी श्रद्धा हो, उतने रूपये बहुओं को दें। वहां पर एक बड़ा दीया रखकर उसमें घी डालकर, नाल की बत्ती डालकर जलायें। रात को बारह बजे है करें और दूसरा पट्टा बिछाकर उस पर एक लाल कपड़ा बिछायें एक जोड़ी मंगाया हुआ गणेश-लक्ष्मीजी रखें। पास ही रुपये, सवा सेर चावल गुड़, चार केले, मूली, हरी गवार फली, दक्षिणा, चार सुहाली डालकर रख दें। एक थाली में पांच लड्डू सारी सामग्री सहित गणेश जी का पूजन करके लड्डुओं से जिमा दें। दीये का काजल सब स्त्री, पुरुषों की आंखों में लगाना चाहिए। सारे दीयों कीट रातभर निगरानी रखें। उस पर छलनी ढक दें। सारे दीयों को रातभर जलाकर सुबह उठाकर चढ़ावा तो मिसरानी को दे दें और रुपये उठाकर तिजारी में रख दें। बड़ी दीवाली को रात के बारह बजे पूजा करने के बाद चूने अथवा गेरु में रूई भिगोकर, चक्की, चूल्हा, लोहा तथा छाज पर तिलक लगाना चाहिए।
प्रातः काल चार बजे उठकर पुराने छाज में कूडा रखकर एक बेलन से छाज बजाते जाओ और कहते जाओ लक्ष्मी जी आओ, लक्ष्मी जी आओ। दरिद्र जाओ, दरिद्र जाओ। बाद में छाज ओर कूड़ा घर के आगे रख दें ओर बेलन पीछे लाकर रख दें। इसके बाद लक्ष्मीजी की कहानी सुनें।