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शिव कॉवड़ महिमा (शिव महिमा) – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

नमः शिवाय 

शिव कॉवड़ महिमा (शिव महिमा)
बोल बग हर-हर महादेव बोल बम कल्याणकारी, कल्याण के दाता, संतजनों को आनन्द देने वाले, हिमाचल कन्या पार्वती के पति, परम रमणीय कामदेव के घमण्ड को चूर करने वाले, थोडी-सी भक्ति से ही प्रसन्‍न होने वाले महादेव का में भजन करता हूँ और उनको प्रणाम करता हूँ।
भगवान शंकर के समान कोई भी कहीं भी दानी और कृपालु नहीं हें वे ही दीन दयाला हैं, देना ही उनके मन को भाता है; माँगने वाले उन्हें सदा ही बहुत भाते हैं। भोलेनाथ तो अंधकार का नाश करने के लिये साक्षात हि हैं; मस्तक पर बिजली के समान चमकते हुए स्वर्ण का मुकुट हें। और भगवान श्री हरि के चरणों में पवित्र हुई गंगाजी विराजमान हें। चंद्रमा की कमनीय कला उनके सुन्दर ललाट पर शोभायमान है। चंद्रमा, अग्नि ओर सूर्य आपके नेत्र हैं। आपके हाथों में मीठी ध्वनी सुनाने वाले डमरू जो आपको अतिप्रिय है। भस्म आपके शरीर का आभूषण है। आप बाचाण धारण किये हुए हैं। आपने साँपों और नरमुण्डों को अपने हृदय से लगा 79 है। कानों में कुण्डल हैं। आप कपूर के समान गौरवर्ण के हैं। पार्वती जी $ साथ आप विहार करते हैं। बेल आपकी प्रिय सवारी है। आप काल के # महाकाल हैं। कलिकाल रूपी सर्पों के लिये आप गरुड़ हैं। कण्ठ में कि झलक दिखाई पड़ती है। केलाश पर्वत पर आपका निवास है। उग्र होने १ भी आप मंगलमय हैं। आप देवताओं के स्वामी हैं। संहारकर्ता होते हुए सबके ऊपर उपकार करने वाले हैं।
शिवजी तो बडे दानी ओर भोले हैं इसलिये उन्हें भोले बाबा कहने हैं। उनकी करुणा का इसी से पता चलता कि समुद्र-मन्थन के सप्य जब कालकूट विष की ज्वाला से सब देवता ओर राक्षस जल उठे तब भोलेनाप देवों पर दया करने और उनके प्राणों रक्षा हेतु तुरन्त ही विष का पान का गये। जो कुछ भी उनके भक्त मांगते हैं वह तुरन्त ही दे देते हैं। जिह्ोन भस्मासुर को भस्म करने का श्राप बिना कुछ सोचे समझे दिया था जिसके कारण वे स्वयं ही संकट में पड़ गये। क्योंकि राक्षस भस्मायु उन्हीं को’ भस्म करने लगा था।
शिवजी महाराज का बहुत ही साफ मन हें, थोड़ी सी सेवा भावत से जल्दी ही पिघल जाते हें ओर तुरन्त ही वर दे देते हैं। वे अपने भक्तों को हाथ जोडे खड़ा नहीं देख सकते, उनकी मनोकामना यथाशक्ति पृ करते हैं। वे तो सच्ची भावना के एक लोटे जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। जो करुणा की खान हें। ऐसे निर्मल, निर्गुण और निर्विकार शिवजी को में बारम्बार नमस्कार करता हूँ। श्रावण मास में काँवड में गंगा जल ले जाकर शिवजी पर चढ़ाने का विशेष महत्त्व है।
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