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राम जी की झाड़ू – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

राम जी की झाड़ू 

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उठो री सुहागन नार झाड़ू दे लो आँगना,
उठो री भैया की बहना झाड़ू दे लो अँगना
बहू गई बाप के बेटी गई सासरे
कैसे री बुहारू मेरा बासी घर अँगना
बेटी आ गई सास के से बहू आ गई बाप के से 
अब री बुहारो मेरा बासी घर अँगना . .
हाथ मेरे कंगना गोद मेरे ललना 
अब री बुहारो मेरा बासी घर अँगना 
अन्दर तो तुम पोचा लगाओ बाहर माँजो बरतना 
गंगा जी के घाट पर में नोत आऊँ बमना
उठो री सुहागन नार झाड़ू दे लो अँगना 
अन्दर तो तुम खीर बनाओ बाहर सेंको पूरियाँ 
गंगा जी के घाट से बुला लाऊँ बमना 
उठो री सुहागन नार झाड़ू दे लो अँगना 
अन्दर तो तुम बामन जिमाओ बाहर देओ दक्षिणा 
गंगा जी के घाट पर विदा करो बमना 
उठो री सुहागन नार झाड़ू दे लो अँगना।
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