Search

केवल सीधे पन मे भी कष्ट

केवल सीधे पन मे भी कष्ट

किसी जंगल में एक विषध्वर सर्प रहता था। लोग उसे देखते ही डरकर भाग जाते थे । उसके भय से वह रास्ता ही , बन्द हो गया था। एक दिन एक महात्मा उस रास्ते से जा रहे थे तो विषध्वर उनके दर्शन करके बड़ा खुश हुआ तथा महात्मा जी के सामने सिर झुकाकर वरदान मांगने लगा कि – आज से मैं किसी को नहीं काटूंगा ।
pain
ऋषि तथास्तु कहकर आगे चल दिये। जब विषध्वर ने डंक मारना छोड़ दिया तो गांव के बच्चे उस पर पत्थर फेंकने लगे । कोई उसे लाठी से मारता तो कोई उसकी पूछ पकड़कर घससीटने लगता था। अपने सीधेपन के कारण वह सर्प बहुत कष्ट पाने लगा।
कुछ समय बाद जब ऋषि उसी रास्ते से लौटे तो विषधर ने सारा वृतांत ऋषि को बताया। ऋषि ने उसे समझाया कि जो तेरे पास आये या तुझे परेशान करे तो उसकी ओर फफकार मारकर दौड़ा कर। उस दिन से जो कोई विषध्र को मारने दौड़ता तो वह उसको फुफकार डरा देता था, जिससे वह भाग जाता था।
एक कहावत है-.टेढ जान शंका सब क्ाह्डू।
 वदक़् चन्द्रमा ग्रसहलिं न राह्डू ॥
Share this article :
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply