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पथवारी की रसोई – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

पथवारी की रसोई 

उठो रानी रुकमन तपो एक रसोई, हमसे उठा ही ना जाए, म्हारा अंग पसीजे म्हरा हिवड़ा पसीजे, झट से उठी रानी राधिका कुंभ कलश भर लाई, हर का चोक दीना बुहारी दीनी तपी हे रसोई हर के नोते दई देवता और छत्तीसो 
हर के नोते पीपल पथवारी और छत्तीसो
हर के नोते तुलसा सालगराम और छत्तीसो 
हर के गणेश लक्ष्मी और छत्तीसों 
हर के नोते राम सीता हनुमान बाबा और छत्तीसों 
हर के नोते गंगा जमना और छत्तीसो
हर के नोते महादेव पार्वती और छत्तीसो 
हर के नोते चंदा सूरज नोलखा तारे और छत्तीसो
हर के नोते बेटे पोते और छत्तीसो
हर के नोते छत्तीस करोड़ देवता और छत्तीसो
हर की दाल राँधी भात राधा परमल की तरकारी
हर के नीमो दई देवता और छत्तीसो
ऊपर की तरह सब के नाम लेना है।
राधा माँगा हो सो माँग हमारे मन भाई जी ॥
धन लक्ष्मी म्हारे बहुत कहो जी कुछ माँग
पीहरे सासरा म्हारे बहुत कहो जी कुछ माँग 
भाई भतीजे म्हारे बहुत कहो जी कुछ मांग
देवर जेठ म्हारे बहुत कहो जी कुछ माँग
बेटा पोता म्हारोे बहुत कहो जी कुछ माँग 
हार हवेली अनंत धन लक्ष्मी म्हारे बहुत 
साई सेती म्हारो राज सदा सुख पायला 
एक महीना कार्तिक का किशन संग नहाऊँ
माँगो हर के संग नहाऊँ भलो माँ म्हारी दुश्म दिया ऐ 
ना जाएजी! म्हारे माथे की बिंदी हमसे दियो ए
  ना जाए जी म्हारे हिवडे के हार …
म्हारे हाथों की चूड़ी हमसे दियो ए ना जाए जी 
म्हारे नेनों का सूरमा हमसे दियो ए ना जाए जी 
म्हारे हाथों की मेंहदी हमसे दियो ए ना जाए जी 
म्हारे गले का हार हमसे दियो एना जाए जी 
म्हारे कमर की तगड़ी हमसे दियो ए ना जाए जी 
म्हारे पैरों की पायल बिछुए हमसे दियो एना जाए जी 
कवन वचन वर माँगो हमसे दिया ही ना जाए जी 
हर जी चाले हे द्वारका राधा का डोला साथ जी 
रुकमण ऊबी रंग महल से ये डोला कित जाए जी 
खड़ी पछताए जी 
दुखिया कोई मत रहियो बहना इस जग माहे जी
सुखिया सब कोई होइयो बहना इस जग माही जी 
सुखिया हुई रानी राधिका किशन संग 
नहाई किशन संग नहाई दुखिया हुई 
रानी रुकमण खड़ी पछताई जो हर की राम
 रसोई गावे सदा सुख पावे, बाली गाँव घर वर 
पावे  तरुणी पुत्री खिलावे बुढिया गावे
 गंगा जमना नहावे स्वर्ग पालकी जावें 
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