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मैं पिछले जन्म में क्या थी – What was i in last life

मैं पिछले जन्म में क्या थी? 
टीवी पर बहुत दिनों से एक ऐड चल रहा था कि अपने पिछले जन्म का राज़ जानिए। मुझे भी जानने की उत्सुकता हुई कि आखिर मैं पिछले जन्म में क्या थी। पता चला कि पास्ट लाइफ रिग्रेशन थेरपिस्ट लोगों को उनके पहले के जन्मों के बारे में बताते हैं। मैंने तय किया कि मैं भी जाकर उन लोगों से मिलूंगी जो पिछले जन्म में झांक सकते हैं।
ऑफिस में कुछ सीनियर्स से जब मैंने इस बारे में बात की तो मज़ाक का दौर भी शुरू हुआ। किसी ने कहा कि कहीं तू पिछले जन्म में सोमालिया में तो नहीं थी….किसी ने कहा अगर तू पिछले जन्म में जाकर वापस नहीं आई तो? 
….फिर हम लोगों को पहचानने से इनकार कर दिया तो? ….बात में तो दम था। अगर वाकई ऐसा हो गया तो? मैंने कहा, अगर ऐसा हुआ तो न्यूज़ चैनल को मसाला खबर मिल जाएगी और आप लोगों को बाइट देने का मौका…और हां ऑर्कुट से मेरे अच्छे-अच्छे फोटो निकाल कर दे देना…क्योंकि वे दिन भर उसी को घुमा-घुमा कर चलाते रहेंगे।
मन में कई सवाल उमड़ रहे थे। इन्हीं सवालों और थोड़े-बहुत डर के साथ मैं एक जाने-माने पास्ट लाइफ रिग्रेशन थेरपिस्ट के पास पहुंची। जब स्टोरी के लिए सवाल-जवाब पूरे हो गए तो मैंने उनसे कहा कि मैं भी अपनी पास्ट लाइफ में जाना चाहती हूं। उन्होंने कहा, अगर आप क्रिटिकल माइंड से सोचेंगी तो सम्मोहित नहीं हो पाएंगी। मैंने तय किया कि मैं वैसा ही करूंगी जैसा थेरपिस्ट मुझसे कहते जाएंगे और ज्यादा दिमाग भी नहीं लगाऊंगी। थेरपिस्ट ने पहले मुझे कई लोगों की रिकॉर्डिंग्स दिखाईं। एक महिला अपने पहले के जन्म में कलिंग युद्ध के दौरान खुद को अशोक का सेनापति बता रही थी, एक युवा जो सम्मोहन के बाद खुद को न्यूटन के रूप में देख रहा था, और एक शख्स जो अटलांटिस के दिनों का योद्धा था। मैं पिछले जन्म में क्या थी?

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और शुरू हुआ मेरा पिछले जनम में जाने का दौर

एक शांत और एकांत कमरे में कुर्सी में बिठाकर थेरपिस्ट ने पहले मुझे अपने हाथ उठाकर हथेली को चेहरे के सामने रखने को कहा। फिर कहा बीच की उंगली को गौर से देखो। थोड़े-थोड़े अंतराल पर वह बोलता रहा …अब तुम्हारी उंगलिया फैल रही हैं… आंखें भारी हो रही हैं। धीरे-धीरे मैंने महसूस किया कि मेरी आंखें भारी हो रही हैं। उसने पास वाले बिस्तर पर लेट जाने को कहा। मैं लेट गई। थेरपिस्ट बोल रहा था …तुम एक रेड कार्पेट पर चल रही हो …और मैं जैसे-जैसे बोल रहा हूं, तुम गहरे और गहरे जा रही हो। रेड कार्पेट पर चलती हुई तुम उस जगह पहुंच गई हो जो तुम्हारी सबसे पसंदीदा जगह है… तुम्हें क्या दिख रहा है?
मैंने कुछ विजुअलाइज करने की कोशिश की। कुछ समझ नहीं आया। फिर विजुअलाइज करने की कोशिश की… फिर बताया ….मुझे अपने कॉलेज का ग्राउंड दिख रहा है …गैदरिंग हो रही है …यह सिलसिला चलता रहा। उसने फिर कहा अब तुम एक टनल में हो दूर रोशनी दिखाई दे रही है… तुम रोशनी की तरफ बढ़ रही हो… जब तुम बाहर निकलोगी तो खुद को एक बड़ी हवेली में पाओगी… अपने चारों तरफ देखो ….क्या दिख रहा है? मुझे वह हवेली नज़र आने लगी जो मैंने किसी टीवी सीरियल में देखी थी।
वह आवाज़ बोलती रही… तुम अब पिछली ज़िंदगी में पहुंच रही हो …बताओ, क्या दिख रहा है? मैंने बताया… समुंदर का किनारा और मैं अपनी फ्रेंड्स के साथ खेल रही हूं। उसने पूछा, कौनसा साल है? मैंने बताया… 2004। (उस साल मैं मुंबई में ही थी)। उसने कहा… पीछे, और पीछे जाओ…. डीपर ऐंड डीपर… अब तुम अपने स्कूल में हो… क्या दिख रहा है? मैंने विजुअलाइज करने की कोशिश की, मैं नवीं क्लास में बायोलजी की क्लास में हूं….।
इसी तरह मुझे पिछले जन्म तक पहुंचाने की डेढ़ घंटे कोशिश चली। पर मैं पिछले जन्म में नहीं पहुंच पाई। बहुत कोशिश की… पर नहीं… बीच-बीच में मन कर रहा था कि उठ कर बैठ जाऊं और बोलूं कि भाई साहब मैं कहीं नहीं गई… यहीं हूं, इसी जन्म में… इसी साल में… तो क्या मेरा कोई पिछला जनम नहीं है? कमरे में आने के पहले जिनकी मैंने रिकॉर्डिंग देखी थी, वे सब अपने पिछले जन्म में पहुंच गए थे। तो मैं क्यों नहीं? है। आखिर हकीकत क्या है?
अपने सवाल का जवाब तलाशने के लिए मैं एक सीनियर सायकायट्रिस्ट से मिली। उन्होंने कहा कि सायकायट्री कम्युनिटी में पास्ट लाइफ थ्योरी को कहीं भी स्वीकार नहीं किया जाता। इसकी कोई साइंटिफिक वैलिडिटी नहीं है। यह महज एक माइंड गेम है। कुछ लोग आसानी से जो भी बताओ, उस पर यकीन करते हैं, उनका दिमाग कुछ कल्पना करने लगता है। वे या तो पहले से मानते हैं कि मैं पिछले जन्म में यह था या जो-कुछ पढ़ा है, सुना है या जो उनके अवचेतन मन में बैठा है उसे विजुअलाइज करने लगते हैं।
लेकिन इस पर स्टोरी करने के बाद कई लोगों ने मुझसे बात की। जो पुनर्जन्म में यकीन करते हैं और जो नहीं करते हैं, वे भी। कई बातें भी बताईं कि फलां-फलां ऐसे अपनी पास्ट लाइफ में गया। उसकी बीमारी ठीक हो गई। आत्मा से बात होती है। आत्मा हमेशा ज़िंदा रहती है। रूप बदलती रहती है। विदेशों में भी इस तरह की बातें होती हैं। कई स्टडी हुई हैं …लेकिन कोई साइंटिफिक वैलिटिडी नहीं है। एक जाने-माने साइंटिस्ट ने मज़ेदार सवाल किया – जब भी कोई पुनर्जन्म की बात करता है तो कोई यह क्यों नहीं कहता कि वह पिछले जन्म में चोर था, डाकू था या बुरा इंसान या गधा-घोड़ा था? दरअसल यह उनके सपने या इच्छाएं बोलती हैं। मुन्नाभाई की जुबान में बोलें तो लाइफ एक केमिकल खेल है, इसमें लोचा हुआ तो बॉडी को टेंशन हो जाती है और ज्यादा बात बिगड़ी तो खेल खल्लास।

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