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Why is the population increasing so much – जनसंख्या इतनी क्यों बढ़ रही है?

Why is the population increasing so much?

जनसंख्या इतनी क्यों बढ़ रही है

Why is the population increasing so much? – खराब काम करने वाले को खराब योनि मिलती है। आज पचहत्तर प्रतिशत व्यक्ति खराब काम करते हैं, फिर भी संसार में मनुष्यों की संख्या क्यों बढ़ती ही जा रही है? क्या सभी अधिकारी जीवों का मुक्ति-काल समाप्त हो गया है, क्या वे मुक्ति से लौटकर आ रहे हैं?
पिछले पचास वर्षों में तो मनुष्यों की संख्या (पॉपुलेशन) बढ़ती जा रही है। पहले भारत की संख्या तीस करोड़ थी, आज सौ करोड़ से ऊपर चली गयी। पूरी धरती की संख्या पहले तीन अरब थी, आज सात अरब हो गई। जनसंख्या इतनी क्यों बढ़ रही है, क्या अच्छे काम ज्यादा हो रहे हैं?

Why is the population increasing so much?

इस सवाल का जवाब हैः-

एक कारण:- 
कि ‘आत्मा’ मुक्ति से लौट रहे हैं। इसलिए संख्या बढ़ रही है। सारे मुक्ति से नहीं आ रहे हैं। मनुष्यों की संख्या इस कारण से नहीं बढ़ रही है। दरअसल, मुक्ति में से तो कोई-कोई आता होगा। लेकिन वो हमें पता नहीं चलता। गत वर्षों में मनुष्यों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, उसके कई कारण हैं।

दूसरा कारणः-
एक व्यक्ति ने दस साल तक मेहनत की, व्यापार में खूब पैसा कमा लिया और आगे जाकर उसने व्यापार बंद कर दिया। अब वो व्यापार नहीं कर रहा। लेकिन पिछले दस साल में उसने जो कमाया, उसको बैठ के खा रहा है। उसे इसका पूरा अधिकार है। इसी तरह इस समय जो मनुष्य लोग हैं, वो पहले कमाई करके आए हैं। वे अच्छे कर्म करके आए हैं। इसीलिए मनुष्य योनि में आए हैं। वे पिछली कमाई खा रहे हैं। लेकिन यदि इस जन्म में वे अच्छे काम नहीं कर रहे हैं, तो आगे उनको मनुष्य जन्म नहीं मिलेगा। वे मोक्ष के अधिकारी नहीं होंगे। वे पशु-पक्षी, कीड़े-मकोड़े की योनि में स्थानांतरित (ट्रांसफर) हो जाएंगे। उनको बुरे कर्मों का यह दण्ड मिलेगा। और जब दण्ड भोग लेंगे, कर्म-दण्ड पूरा हो जाएगा, तब वे फिर मनुष्य योनि में आ जाएंगे। इसका न आपको पता चलेगा और न मुझे। अनुमान प्रमाण है कि ईश्वर न्यायकारी है, वह बिना कर्म के फल नहीं देता। जिसने बुरा कर्म किया, उसको बुरा फल दिया। जिसने अच्छा कर्म किया, उसको अच्छा फल दिया। स आजकल जो तेजी से मनुष्यों की संख्या बढ़ रही है, उसका कारण यह नहीं है कि, मनुष्य लोग अच्छे कर्म कर रहे हैं। दरअसल, जो बुरे कर्म करके पशु-पक्षी, कीड़ों-मकोड़ों और पेड़-पौधों की योनि में गए थे, वे अपना दण्ड भोगकर, कर्मफल पूरा करके मनुष्य योनि में आ गए हैं। यह मनुष्यों की संख्या बढ़ने का एक कारण है। यहाँ कर्मफल के तीन नियम समझने पड़ेंगेः-
(1) पहला नियम- एक व्यक्ति अपने पूरे जीवन में यदि पचास प्रतिशत अच्छे और पचास प्रतिशत बुरे कर्म करता है यानी बराबर मात्रा में (इक्वल) पचास-पचास अच्छे-बुरे कर्म हैं। यहाँ पहला नियम कहता है किः- ”समान मात्रा में अच्छे बुरे कर्मों को करने से व्यक्ति को तुरंत अगला जन्म साधारण मनुष्य का मिलेगा।” साधारण मनुष्य का मतलब जिसे आप आजकल की भाषा में फोर्थ-क्लास फैमिली जैसे- मजदूर, चपरासी, पटेवाला कहते हैं। एक तरीका मनुष्य बनने का यह है।
(2) दूसरा नियम- यदि कोई व्यक्ति अपने पूरे जीवन में पचास प्रतिशत से अधिक अच्छे कर्म करता है, जैसे – मान लिया कि साठ प्रतिशत अच्छे कर्म करता है, और चालीस प्रतिशत बुरे कर्म करता है। उसके अच्छे कर्म अधिक हैं, इसलिए प्रमोशन होगा। फोर्थ क्लास से थर्ड क्लास फैमिली में आ जाएगा। मजदूर, चपरासी से ऊँचे घर में, कोई बु(िमान, सेठ, धनवान, किसी क्षत्रिय के घर में जन्म होगा। इसी तरह से यदि अच्छे कर्म का प्रतिशत बढ़ता जाएगा, साठ की बजाय सत्तर प्रतिशत अच्छे कर्म किए तो और ऊँचे घर में जन्म मिलेगा। अस्सी प्रतिशत अच्छे कर्म किए तो और ऊँचे घर में जन्म मिलेगा। जहाँ पर धार्मिक, विद्वान माता-पिता हों, सदाचारी हों, देशभक्त हों, ईश्वर-भक्त हों, ईमानदार हों, ऐसे-ऐसे अच्छे परिवार में जन्म मिलेगा। और यदि सौ प्रतिशत अच्छे और निष्काम कर्म करेगा, तो उसका मोक्ष हो जाएगा। यह दूसरा नियम हैः- ”यदि आपके कर्म पचास प्रतिशत से ज्यादा अच्छे हैं, और बुरे कम हैं, तो भी मनुष्य बनेंगे।” तो इस नियम से भी तुरंत मनुष्य बन सकते हैं।
(3) तीसरा नियम- यदि कोई व्यक्ति बुरे कर्म पचास प्रतिशत से अधिक करता है, और अच्छे कर्म पचास प्रतिशत से कम। मान लीजिए साठ प्रतिशत बुरे कर्म किए, और चालीस प्रतिशत अच्छे कर्म किए। अब साठ और चालीस में कितना अंतर है? बीस प्रतिशत का। तो बीस प्रतिशत बुरे कर्म अच्छे कर्मों की तुलना में उसने अधिक किए। अब यहाँ बीस प्रतिशत पाप अतिरिक्त हैं,अधिक है, तो कर्म-फल का तीसरा नियम कहता है, कि-”जब बुरे कर्म अधिक हो जायेंगे, तो तुरंत अगला जन्म मनुष्य का नहीं मिलेगा।” अब उसका दंड भोगने के लिए नीचे उतरना पड़ेगा। कुत्ता, बिल्ली, हाथी, गाय, घोड़ा, मक्खी, मच्छर, बंदर, सुअर, साँप, आम, पीपल आदि-आदि बनना पड़ेगा। जब तक नीचे इन बीस प्रतिशत पापों का दंड पूरा नहीं भोग लेगा, तब तक वापस लौट के मनुष्य नहीं बनेगा। तब तक वहीं चक्कर काटेगा। यदि कोई पशु-पक्षी, कीड़ा-मकोड़ा बना हुआ था, तो वो कैसे बना था, पहले यह समझ लीजिए। पुण्य की तुलना में अधिक पाप किए, तो तीसरा नियम यह कहता है किः- ”जब पाप अधिक बढ़ जाएगा, तो पहले उसका दंड भोगने के लिए कुत्ता-बिल्ली, पशु-पक्षी, कीड़े-मकोड़े बनना पड़ेगा।” पहले अन्य योनियों में बीस प्रतिशत पाप का दंड भोगो, जब वो निपट जाए, तब एकाउंट बैलेंस (बराबर) हो जाएगा। चालीस प्रतिशत पाप, चालीस प्रतिशत पुण्य का खाता जब बराबर हो जाएगा, तो फिर लौट के मनुष्य बनेंगे। तो इस समय जो आप कह रहे हैं न कि मनुष्य की संख्या बढ़ती जा रही है, यह इस नियम से बढ़ रही है। कीड़े-मकोड़े, मक्खी, मच्छर अपना दण्ड भोगकर, मनुष्य योनि में लौट के वापस आ रहे हैं। उनका नंबर आ गया है मनुष्य बनने का। मुक्ति से लौटना एक कारण, मनुष्य से मनुष्य बनना, दूसरा कारण और मनुष्यों में ज्यादा अच्छे कर्म करके फिर अच्छे परिवार में जन्म लेना
तीसरा कारण:- कीड़े-मकोड़े से लौटकर वापस मनुष्य बनना-चौथा कारण। और किसी अन्य लोक- लोकांतर से यहाँ ट्रांसफर होकर यहाँ मनुष्य जन्म लेना, यह मनुष्य की संख्या बढ़ने का पाँचवा कारण है। ऐसे बहुत सारे कारण हैं, जिसकी वजह से यहाँ जनसंख्या (पॉपुलेशन) बढ़ रही है।
चौथा कारण:-  ज्यादा ठीक लग रहा है। और भी कारण थोड़े-थोड़े होंगे।

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